जंगल में होली |
मैं ने कल की पोस्ट में उस ख्यातनाम ब्लागर का नाम पूछा था, जिस के घर से मैं दो तस्वीरें उतार लाया था और आप को दोनों तस्वीरें मिला कर दिखाई थीं। तस्वीर देख कर उड़नतश्तरी वाले समीरलाल जी ने तुरंत आरोप लगाया कि "ओह! तो आप आये थे घर पर...पता चला कि तस्वीरें खींच कर ले गये हैं. :)" अब उन के घर कौन आ कर चित्र उतार कर ले गया? यह मुझे नहीं पता। कम से कम मैं तो नहीं ही गया था। वैसे भी वे तो इन दिनों कनाडा में रह रहे हैं, अपनी बिसात कहाँ कि उड़ कर वहाँ जा सकें। हमारे पास उन की तरह उड़नतश्तरी जो नहीं है।
अधिकतर टिप्पणीकर्ताओं ने तस्वीरों को पाबला जी के घर की बताया जिन में डा० अमर कुमार, योगेन्द्र पाल, निर्मला कपिला और सञ्जय झा शामिल हैं। मैं शपथपूर्वक कह सकता हूँ कि ये तस्वीरें पाबला जी के घर की नहीं हैं। उन के घर तो गए हमें दो बरस हो चुके हैं। इन में सञ्जय झा ने तो उत्तर में ई-स्वामी जी और रवि-रतलामी जी को भी शामिल कर लिया। इन के घर तो हम ने आज तक नहीं देखे हैं। ई-स्वामी जी का तो निवास का नगर भी हमें पता नहीं। रवि रतलामी जी के घर जाने का सौभाग्य अभी तक नहीं मिला। पिछली बार भोपाल गए थे तो वे पहले ही कहीं बाहर चले गए और हम उन के घर नहीं जा सके। Neeraj Rohilla जी ने तो पंकज सुबीर का घर बता डाला। ये ठीक है कि हम उन से मिल चुके हैं, उन का कंप्यूटर इन्स्टीट्यूट भी देख चुके हैं, लेकिन तीन दिन उन के शहर में रहने के बावजूद भी उन के घर नहीं जा सके। लेकिन ये तस्वीरें तो उन के घर क्या, उन के इंस्टीट्यूट के किसी कोने की भी नहीं हैं।
ये किस का घर है? और यहाँ क्या हो रहा है? |
सतीश सक्सेना जी ने अनुमान लगाया कि ऐसा काम तो कोई सरदार ही कर सकता है। हम समझ नहीं पा रहे कि वे किस की तरफ इशारा कर रहे हैं? ये कबाड़ इकट्ठा करने वाले की तरफ या फिर चित्र खींचने वाले की तरफ। चित्र खींचने वाला तो यकीनन सरदार है। पर उन का इशारा कबाड़ इकट्ठा करने वाले की ओर हो तो वो यकीनन सरदार नहीं है। हमारे शहर के नौजवान वकील और साल में सर्वाधिक पोस्टें लिखने वाले हिन्दी ब्लागर akhtar khan akela, आए और ना समझा जा सकने वाला जुमला मार गए। पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने उन्हीं की तरफ इशारा कर दिया कि मेरे पडौसी तो वे ही हैं। खुशदीप सहगल, ये तो उसी ब्लॉगर का घर लगता है जिसका फ़लसफ़ा हो... आई मौज फ़कीर की, दिया झोपड़ा फूंक..." अब खुशदीप का लिखा समझना खुद एक पहेली हो गया। सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, सञ्जय झा और रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" इसे अपना ही घर समझ बैठे।
राज भाटिय़ा जी तो हम पर ही चढ़ बैठे, कहने लगे -अजी यह तो हमारे वकील बाबू दिनेशराय जी का ही कमरा लग रहा हे:) हमारा ईनाम भाभी जी को दे दें। अब उन्हें कौन समझाए कि जो ईनाम देना है वह तो उन्हीं के सौजन्य से दिया जाने वाला है। अब वे खुद के लिए तो अपना सौजन्य इस्तेमाल करने से रहीं। काम की बात कही प्रवीण पाण्डेय जी ने कि, "जो भी हों, असरदार तो हैं"। निश्चित रूप से जिन ख्यातनाम ब्लागर के घर की ये तस्वीर है वे असरदार तो हैं। लेकिन सटीक और सही उत्तर कोई भी नहीं दे सका।
वाकई कलम तोड़ते हुए |
आप इतना भी नहीं समझ पाए। अरे! एक ही तो ख्यातनाम है, हिन्दी ब्लागजगत में जो खम ठोक कर लिखता और कहता है कि "बंदा 16 साल से कलम-कंप्यूटर तोड़ रहा है"। अब भी आप न समझें हो तो मै ही बता देता हूँ, यह ख्यातनाम ब्लागर खुशदीप सहगल हैं। जो बंदा 16 बरस से कलम-कंप्यूटर तोड़ रहा हो उस के घर का ये हाल तो होना ही था।
एक टिप्पणी ऐसी भी थी, जिस ने हमें ही पशोपेश में डाल दिया। रचना कह रही थी, " invasion of privacy पर कौन सी धारा लग सकती है? कल से समीर ई-मेलकर कर के पूछ रहे हैं, दिनेश जी क्या करूँ?" अब ऐसे प्रश्न हम से तीसरा खंबा कानूनी सवाल पूछने के लिए आते हैं। लेकिन यदि समीर जी को ही पूछना होता तो मुझ से पूछ सकते थे। वैसे इशारे में तो उन्हों ने कह ही दिया था। कुछ भी कहो समीर जी ने ये सवाल बार-बार रचना से पूछ कर जो उन्हें हलकान किया उस पर कुछ धाराएँ अवश्य लग सकती हैं। पर आज दिन में एक पुलिस वाला बता रहा था कि वे सभी धाराएँ सरकार ने होली का डांडा गाड़ दिए जाने के बाद से होली के बारहवें दिन तक के लिए सस्पेंड कर दी गई हैं। अब मैं रचना जी को बताऊँ तो क्या बताऊँ? समीर जी उन्हें सवाल पूछ कर होली की तेरहीं होने तक हलकान तो कर ही सकते हैं। वैसे भी इस एक माह बारह दिन की अवधि में सभी को अपनी निजता की सुरक्षा के लिए चैतन्य रहना चाहिए। क्यों कि सरकार और उस की पुलिस तो कुछ करने से रही। रात में ही नहीं दिन में भी हर आधे घंटे बाद तीस बार "जागते रहो" का नारा बुलंद करते रहना ही इस समस्या का तात्कालिक इलाज है। फिर निजता की सुरक्षा में कुछ सेंध लग भी जाए तो चिंता की बात कुछ नहीं इस से व्यक्ति सेलेब्रिटी हो जाता है। क्यों कि उन की निजता में सेंध लगते ही खबर पैदा होती है और कोई मुकदमा नहीं होता। बहुत सारे तो सेलेब्रिटी कहलाने के लिए अपनी निजता में सेंध लगवाने के लिए ठेके तक देते हैं।
कौन है यह ब्लागर? |
वैसे किसी की निजता में सैंध लगा कर हम ने अब तक कोई एक नहीं, बहुत से लिए हैं। एक चित्र यहाँ पेश है, आप बता सकते हों, तो बताएँ ये किस ब्लागर का चित्र है? चूँकि आज कोई ईनाम का हकदार नहीं है इसलिए कल वाला ईनाम बरकार है, यानी वही कि सही सही बताने वालों का धुलेंडी की सुबह नौ बजे खतरनाक वाला सम्मान किया जाएगा। सब से पहले सही जवाब देने वाले को उस दिन का सब से बड़ा असरदार ब्लागीर घोषित किया जाएगा। ईनाम आज जीता जा सकता है।
जवाब देंहटाएंवाह सरदार वाह !
चर्चा हमारे यार की कर रहे हो और हम सारा जहाँ ढूंढ आये :-(
खुशदीप भाई द ग्रेट !!
वाकई शानदार, निश्छल, हर एक के दुःख में तैयार,सरल ह्रदय, खुशदीप पर यह चर्चा करके आपने जी खुश कर दित्ता !
हार्दिक शुभकामनायें !
मैं तो निश्चित नहीं हूं...
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट और सतीश भाई की टिप्पणी से निशब्द हूं...
जवाब देंहटाएंइसके बाद फ़कीर की मौज आने लगी है, अब आप ही आकर मेरे झोंपड़े को संभालिए...
जय हिंद...
पहले वाली फ़ोटो आपके घर की है। ठंडाई वाली।
जवाब देंहटाएंबाकी भी पहचान ली हैं।
शुभकामनाएं होली की।
नाम तो नहीं बताऊँगा लेकिन इतना बता सकता हूँ कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से टक्कर ले कर जेल की सजा पाने वाले वाले इस ब्लॉगर को, इन्ही के घर पर, 16 नवम्बर की शाम कैमरे में कैद किए जाने के बाद मैंने, आपने और इन्होंने एक साथ भोजन किया था :-)
जवाब देंहटाएंहै ना बढ़िया हिंट?
नाम मैं भी नहीं बताऊंगा, लेकिन इस नाम का एक मशहूर एक्टर भी है और एक क्रिकेटर भी...
जवाब देंहटाएंतन रंग लो जी आज मन रंग लो,
तन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
bhaai lalit ji shrma to is maamle men chhupe rustam nikle . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंयह इरफ़ान तो नहीं .....
जवाब देंहटाएंआपका आशियाना ही लग रहा है. और नीचे वाले ब्लागर हम तो नही हैं क्योंकि उसकी शक्ल बंदर जैसी तो कतई नही लग रही है.:)
जवाब देंहटाएंहोली पर्व की घणी रामराम.
इतने कम्प्यूटर जब टूटे पड़े थे, तो पहले ही समझ जाना चाहिये था कि वही हैं, स्वयं ही स्वीकार किया है उन्होने।
जवाब देंहटाएंमेरा तो जीतने का मौका आज भी गया
जवाब देंहटाएंकमेन्ट में लिंक कैसे जोड़ें?
blog par paheli daalaen kaa adikaar aap kaa nahin haen
जवाब देंहटाएंaap baar baar kar rahey haen
banti chor kaa naa sunaa haen
abhi aa jayegaa
happy holi to you and your readers
@रचना
जवाब देंहटाएंअजी हम कोई बंटी चोर से घबड़ाते थोडे़ ही हैं। वो पर्दानशीं और हम होली पे पूरे हुलियाए हुए।
एक बार सामने तो आए, एक गिलास ठंडाई में ही गश न खा जाए तो हमारा नाम बदल देना।
नाम मैं भी नहीं बताऊंगा,यह.....तो नहीं .....मैं तो निश्चित नहीं हूं...आपको होली की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंलीजिये एतना देर से बुझौवल चल रहा है.
जवाब देंहटाएंकोई हमको पुच्च्बे नहीं किया, कि हमको भी एग घिलास भांग घोटल लस्सी चाहिए.
अभियो सब हमको लड़के बच्चे समझ रहे हैं... जा रे होली.
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भोर तक वकील चच्चा होश में आ जायेंगे न. तब पूछेंगे.
उ अपना एगो कार्टूनिस्ट था न, जाने कहाँ खो गया है.
जवाब देंहटाएंकोटा वाला शायद अपहरण कर लिया है. सीनियर वकील के डर से कोई थाना वाला FIR नहीं लिख रहा है.
जा रे होली.
अरे यह भाई यहाँ क्या कर रहे हैं? कार्टूनिस्टपना छोड़ कर पोस्ट ठेलने में लगे हैं क्या?
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी आपको परिवार सहित होली की बहुत-बहुत मुबारकबाद... हार्दिक शुभकामनाएँ!
आप को सपरिवार होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी ,
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम.
होली के पावन रंगमय पर्व पर आपको और सभी ब्लोगर जन को हार्दिक शुभ कामनाएँ.
द्विवेदी जी आप भी पहेली पहेली खेलने लगे :)…होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंपहली फोटो में शायद आपके घर में भांग घुटाई हो रही है।
जवाब देंहटाएंआखिरी फोटो की पहेली का जवाब आ ही चुका है "इरफान जी"
प्रणाम
रंगों की चलाई है हमने पिचकारी
जवाब देंहटाएंरहे ने कोई झोली खाली
हमने हर झोली रंगने की
आज है कसम खाली
होली की रंग भरी शुभकामनाएँ
यह तो पीठ दिखा रहा है.... जरूर रणछोड़दास होगा :)
जवाब देंहटाएंइस दुनिया में समझदार की मौत है। अपन नासमझ ही अच्छे।
जवाब देंहटाएंWill wait for the correct answer...
जवाब देंहटाएंPHOTU 4 AUR BLOGGER 1 ........ YE KYA
जवाब देंहटाएंDIKH RAHA HAI........YE SAB MODAK KE
CHAKKAR ME HO RIYA HAI....JARA EK BAR
SUROOR UTAR AAYE.....PHIN PACHANTE
HAIN .........'KAUN'.........
PRANAM.
इरफान
जवाब देंहटाएंलाओ इनाम