पूरे एक सप्ताह अंतर्जाल से संपर्क नहीं रहा। नया मकान बनाने की प्रक्रिया प्रारंभिक दौर में है। जहाँ मकान बनना है उस के पास ही अपने मित्र के बिलकुल नए मकान को अपने रहने और कार्यालय के लिए ले लिया है और पिछले रविवार को यहाँ आ गया हूँ। मकान को खाली करना, सारा सामान ले कर नए मकान में आना, अपने आप में बहुत जटिल काम है। एक सप्ताह पहले से सामानों की करीने से बांधना शुरु हुआ। नए मकान में आ कर सब को खोलना और उन के लिए उचित स्थान तलाश कर जमाना और रहने योग्य बनाना। इसी में लगा रहा। अभी कार्यालय पूरी तरह व्यवस्थित नहीं हो सका है। लगता है इस काम में पूरा महीना लग जाएगा।नए मकान की स्थिति ऐसी है कि वहाँ से अदालत, नगर के मु्ख्य बाजार बस स्टेंड दो किलोमीटर की परिधि में हैं, और रेलवे स्टेशन 5 किलोमीटर। आकाशवाणी केंद्र, कला दीर्घा, छत्रविलास बाग और तालाब एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर।
अपना बेसिक टेलीफोन नए मकान में लगाने के लिए पिछले शनिवार को आवेदन किया था। सोमवार को भारत दूर संचार निगम के अपने मित्रों को संपर्क किया तो उन्हों ने बताया कि तंत्र को आधुनिक किया जा रहा है, प्रणाली में नए सोफ्टवेयर आए हैं। लेकिन अभी उन के साथ काम करने में बहुत जटिलताएँ हैं। इस लिए एक सप्ताह लग सकता है। टेलीफोन संयोजन ठीक से लगे और काम करने लगे इस के लिए संचार निगम के कम से कम पाँच मित्र प्रयासरत रहे। तब जा कर कल शनिवार शाम अंतर्जाल आरंभ हो सका। एक सप्ताह इस विश्वग्राम से अलग रह कर वापस लौटा हूँ। इस बीच हिन्दी ब्लाग दुनिया में बहुत कुछ लिखा गया है और घटित हुआ है। रोजमर्रा के वकालत के तमाम कामों के साथ घर और दफ्तर को ठीक से आकार लेने में समय लगेगा। शायद पूरा माह लगे। फिर इस मकान में भी घर और दफ्तर छह-आठ माह से अधिक नहीं रहना है। यह सोच कर अनेक वस्तुओं को अपने बंधन में ही बंधे रहने को बाध्य रहना होगा। अंतर्जाल ने चालू होते ही दुखद समाचार दिया कि कन्हैयालाल नंदन नहीं रहे। मेरा उन से केवल एक बार मिलना हुआ। मेरे गुरुजी अशोक शुक्ल ने उन्हें एक कविसम्मेलन में बाराँ बुलाया था। वे अच्छे कवि थे, विवादों से बहुत दूर। एक अच्छे संपादक भी जिन्हों ने अपने प्रकाशक-नियोजकों और लेखकों को एक साथ संतुष्टि दी। नियोजकों के लिए वे संकटहरन भी सिद्ध हुए। विशेष रुप से तब जब टाइम्स समूह ने कमलेश्वर को हटा कर सारिका का सम्पादन उन्हें सौंपा। नंदन जी को आत्मीय श्रद्धांजलि। आज दिल्ली में उन की अंत्येष्टि है। बहुत लोग उस में हाजिर होंगे। लेकिन इस से इरफान भाई के व्यंग्य-चित्रों की प्रदर्शनी के उदघाटन समारोह में कुछ लोगों की उपस्थिति प्रभावित हो सकती है।
इरफान भाई की प्रदर्शनी के चित्र बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस समय में राजनीति और सामाजिक व्यवहारों पर सब से तीखे व्यंग्य करते हैं। उन की प्रदर्शनी प्रेस क्लब दिल्ली में अगले दस दिनों तक रहेगी। दिल्ली वालों को और इस बीच दिल्ली आने वालों को यह प्रदर्शनी अवश्य देखनी चाहिए। मैं आवास-कार्यालय बदलने के कारण उत्पन्न व्यस्तता के कारण शायद यह प्रदर्शनी नहीं देख सकूँ। इरफान भाई को इस प्रदर्शनी की सफलता के लिए शुभकामनाएँ!!!
पुराने मोबाइल से सूर्योदय तुरंत पहले नए घर से कुछ चित्र लिए हैं। यहाँ पेश-ए-नजर हैं।
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ऊषा |
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मकान के ठीक पूर्व में स्थित मैरिज गार्डन |
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उषा से आलोकित |
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मैरिज गार्डन |
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सविता |
अपको नये मकान के लिये बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें। ब्लागिन्ग तो होती रहेगी पहले अपना घर का काम पूरा करें। ईरफान भाई को भी बधाई। हां ये बतायें कि मिठाई खाने कब आयें?
जवाब देंहटाएंबड़ी प्रसन्नता की बात है ....हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ..
जवाब देंहटाएंनये घर में शीघ्र पहुँचें, बहुत शुभकामनाऎँ.
जवाब देंहटाएंवाह जी !नए घर की बधाई !
जवाब देंहटाएंगृह प्रवेश पर कोई (ब्लॉगर) पार्टी शार्टी की उम्मीद तो अब की ही जा सकती है ......?
....कचौड़ियाँ और सेव ...शायद आपने कभी जिक्र किया था कभी ?
नंदन जी को श्रृद्धांजली !!
साहित्य पर अपने सीमित ज्ञान के बावजूद फतेहपुर से जुड़े होने के कारण कन्हैया लाल जी नंदन के प्रति एक तरफ़ा (...कभी मिला नहीं )अनुराग महसूस करता था |
एक बार आपने अपने गुरुवार अशोक शुक्ल जी ...के विषय में भी जिक्र किया था ....की वह भी मूल रूप से जनपद फतेहपुर के ही हैं .....कभी विस्तृत जानकारी दीजिये !
इरफ़ान भाई के लिए हमारी भी शुभकामनाएं !
नए घर के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंजीवन के बेहतरीन मौकों में से एक, नए मकान में जाना होता है इस अविस्मरनीय मौके पर आप और परिवार को हार्दिक शुभकामनायें भाई जी !
जवाब देंहटाएंयह क्या बात हुई...
जवाब देंहटाएंनया मकान ?...चलिए बेहतर है...
नयी गृहस्थी सजाना कठिन कार्य है किसी स्थानान्तरण वाले सरकारी कर्मचारी से पूछिये।
जवाब देंहटाएंनये गृह की बधाईयाँ।
जवाब देंहटाएंआपको सुबह यहां वापस देखकर अच्छा लगा...इतनी व्यस्तता के बावजूद आप समय निकाल पाए...
जवाब देंहटाएंनंदनजी की कविताएं अक्सर पढ़ता हूं, मेरे पसंदीदा कवियों में से एक हैं...उनको श्रद्धांजलि
द्विवेदी सर,
जवाब देंहटाएंनए मकान के लिए बहुत बहुत बधाई...
मकान चेज करना शायद सबसे ज़्यादा कष्टप्रद होता है...आपका तो खैर कोटा अपना शहर है...जान पहचान वाले बहुत होंगे...लेकिन यहां अनजान शहर नोएडा में मुझे मकान बदलने के दौरान नानी तो क्या पता नहीं क्या क्या याद आ गया था...
नंदन जी के जाने से साहित्य के एक युग का अवसान हुआ है...मेरी श्रद्धांजलि...
वैसे इरफ़ान भाई की प्रदर्शनी के उद्घाटन का वक्त दोपहर बाद ३ बजे प्रेस क्लब में हैं...आडवाणी जी चीफ गेस्ट हैं...प्रदर्शनी दस दिन चलेगी...इसलिए आज कोई न आ सके तो बाद में भी इरफ़ान भाई के दिमाग और कूची का हुनर देख सकता है...मुझे तो आज दोपहर से उन्हीं के साथ रहना है...
जय हिंद...
चलिये सब से पहले आप को नये मकान की शुभकामनायें, ओर बधाई, जल्द ही बन जायेगा
जवाब देंहटाएं`नया मकान बनाने की प्रक्रिया प्रारंभिक दौर में है। '
जवाब देंहटाएंअग्रिम बधाई स्वीकारें.... बाद में मिठाई के साथ :)
घर बनाना भी जीवन की एक अहम सफलता है...बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंवाह ,एक ब्लॉगर का नया घर ...हिप हिप हुर्रे !
जवाब देंहटाएंनये घर के लिये अग्रिम शुभकामनाएं, आपकी अनुपस्थिति खल रही थी आज कारण मालूम पडा तो हर्षित हुये. नये मकान में एक ब्लागर्स रूम जरुर बनवायें.
जवाब देंहटाएंरामराम.
नए मकान के लिए अग्रिम शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत पुरानी कहावत है शादी करके देखो और मकान बनाकर देखो ( अपना मकान बनाते हुए यह रोज़ किसी न किसी से सुनता था ) बहरहाल पहला काम तो कबका कर चुके अब यह दूसरा करना है । हो जाएगा नये मकान मे रहने का आनंद ही कुछ और है । चलने दीजिये यहाँ तो सब वैसा ही चल रहा है । गृह प्रवेश करें तो बताइयेगा , वैसे अभी से शुभ्कामनायें दे देते हैं ।
जवाब देंहटाएंशुभ कार्य जनित व्यस्तता की बधाई !
जवाब देंहटाएंनया आवास परिसर आपको और आपके समूचे परिवार को शुभ, सुखद, समृध्दिदायक और शान्तिदायक हो।
जवाब देंहटाएंशुभ-कामनाऍं।
नवीन ग्रह प्रवेश पर बधाई .
जवाब देंहटाएंलेकिन एक बात है यह मैरिज होम सहालगो मे बहुत दुखी करेगा तेज़ डी जे ... पर आप तो सुप्रीम कोर्ट का आर्डर लागू करवा ही सकते है हम तो हार गये .पर साल के १० -२० दिन छोड कर तो शान्त ही रहेगा