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शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

दर्पण झूठ बोलता है

श्री रघुराज सिंह हाड़ा हाड़ौती के शीर्षस्थ गीतकारों में से एक हैं। वर्तमान में वरिष्ठतम भी। उन्हों ने हाड़ौती के साथ साथ ही हिन्दी में भी सुंदर गीतों की रचना की है। उन के गीत जीवन से निकलते हैं और जीवन की सचाइयों को उद्घाटित करते हैं। आज प्रस्तुत है उन का एक हिन्दी गीत..........'दर्पण झूठ बोलता है'
 







 दर्पण झूठ बोलता है
  • रघुराज सिंह हाड़ा
किस से बात करें दर्पण झूठ बोलता है
मन का भेद छुपा केवल प्रतिबिंब खोलता है।
................................. दर्पण झूठ बोलता है।।

लगता है हर दर्पण धुंध लपेटे होता है
चेतन को चुप कर केवल आकृतियाँ ढोता है
दिखने-होने का अन्तर तो मन टटोलता है।
................................ दर्पण झूठ बोलता है।।

बातों के बोपारी बोलें तो जादू जागे
भीड़ चले पीछे वो माला पहन चलें आगे
सच-सवाल कर लो तो उन का खून खौलता है।
................................ दर्पण झूठ बोलता है।।

ऐसा शहर बसा देखा जो दिखता सुंदर था
ऊपर आकर्षक था भीतर पूरा बंजर था
विज्ञापन का बाट मगर सच कहाँ तौलता है।
................................ दर्पण झूठ बोलता है।।

कई बार कुछ लोग सचाई से डर जाते हैं
(पर) मनगढ़ सपने दिखा उन्हें दर्पण बहलाते हैं
पर आत्म प्रवंचन तो जीवन में जहर घोलता है।
................................ दर्पण झूठ बोलता है।।

कई कई समझौते मन समझाने आते हैं
सहमति को सुविधाओं का सुख सार बताते हैं
पर कबीर ओढ़े उसूल का कफन डोलता है।
................................ दर्पण झूठ बोलता है।। 
  • मोटर गैराज, झालावाड़, (राजस्थान)

7 टिप्‍पणियां:

  1. दर्पण अकेले में झूठ नहीं बोलता ....!

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  2. मन की सच्चाई बताने वाला दर्पण तो बोलता है, दिखाता नहीं।

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  3. बहुत सुन्दर गीत है। दर्पण भी झूठ बोलने लगे तो किस पर विश्वास करें?
    घुघूती बासूती

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  4. बस एक बार चुपचाप देखिये सब सच कह देगा।

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  5. बहुत सुंदर और सशक्त रचना.

    रामराम.

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