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शनिवार, 10 जुलाई 2010

बहुत कुछ सीखा जा सकता है स्पेनी फुटबॉल टीम की रणनीति से

स्पेन ने जिस तरह से शानदार फुटबॉल का प्रदर्शन कर जर्मनी को हराते हुए विश्वकप के फाइनल में प्रवेश किया है वह सारे विश्व को एक गरिमामय खेल सीखने को आमंत्रित करता है। खेल के पहले लगता था कि जर्मनी ही जीत का हकदार है और वह किसी भी तरह से स्पेन को परास्त कर देगा। लेकिन यह हो नहीं सका। जर्मनी के मंसूबों को स्पेन ने पानी पिला दिया। 
टीम स्पेन
स्पेन के खेल में शालीनता थी। उन्होंने पूरे मैच में गेंद पर अपना कब्जा बनाए रखा। जर्मन टीम को स्पेन के कब्जे से गेंद छीनने के अवसर कम ही मिले। यह अच्छी रणनीति साबित हुई। क्यों कि जितना आप का कब्जा गेंद पर रहेगा उतने ही गोल खाने के अवसर कम होंगे और गोल करने के अधिक। गेंद पर कब्जा बनाए रख कर जर्मनी द्वारा अपने गोल पर प्रहार करने के अवसरों को न्यूनतम कर देना स्पेन की पहली रणनीति थी। 
दूसरी नीति स्पेन की यह थी कि जब भी अवसर मिले गेंद को गोल पर मारा जाए। इस से गोल पर प्रहार के अवसर बढ़ेंगे। जर्मनी की रक्षा कितनी ही मजबूत क्यों नहीं रही हो। लेकिन जब स्पेन ने प्रहार पर प्रहार किए तो यह निश्चित ही था कि कभी तो रक्षा पंक्ति से कोई चूक होती और गोल हो जाता। यही हुआ भी स्पेन ने खुद को मिले कॉर्नर पर एक ऐसा अवसर खोज ही लिया तब जर्मनी की रक्षा पंक्ति कुछ भी नहीं कर सकी। इसी ने स्पेन को फाइनल की राह दिखाई। 
गोल करने के बाद जश्न मनाते नीदरलेंड खिलाड़ी
फाइनल में स्पेन की विपक्षी टीम भी गेंद पर कब्जा बनाए रखने में कमजोर नहीं है। लेकिन मेरी राय में स्पेन से उन्नीस ही है। नीदरलैंड के खिलाड़ियों ने स्पेन के खेल से सीखा ही होगा और उन के कोच ने स्थितियों को नियंत्रित रखने के गुर भी बताए होंगे। स्पेन ने भी नीदरलैंड की संभावित तैयारियों को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी अवश्य ही की होगी। निश्चित ही यह मैच कमजोर न होगा। आप तैयार रहें भारतीय समयानुसार रविवार की रात 12 बजे बाद अर्थात सोमवार की सुबह 0.00 बजे से विश्व के सर्वाधिक ख्यात खेल के विश्वकप का अंतिम खिताबी मैच देखने के लिए।

7 टिप्‍पणियां:

  1. विजेताओं से हमेशा सीखा जा सकता है।

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  2. aapse poorna sahmati.........

    vishya ko bharpoor insaaf diya aapne...

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  3. आनन्द पूरा आने वाला है इस मैच का ।

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  4. अनवरत कई दिनों से फ़ुटबालमय चल रहा है...
    ऑक्टो बाबा की जय हो....

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  5. लो जी आज तो इज्जत बच गई, आप का लेख बहुत कुछ कहता है, धन्यवाद

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