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शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

चलो आज कुछ फुटबोलियायें

फुटबाल विश्वकप अब मजेदार दौर में है। केवल आठ दावेदार रह गए हैं मैदान में। सब के सामने तीन मैच हैं। जिस ने ये तीन मैच जीत लिए वही सिरमौर होगा। पिछले दिनों शाम साढ़े सात बजे और रात बारह बजे मैच देखते देखते ऐसी आदत पड़ गई कि पड़त के दो दिन बहुत बुरे गुजरे। आज दिन में अदालत में एक वकील साहब कह रहे थे......स्साले केबल वाले ने ईएसपीएन ही गायब कर दिया तलाशे-तलाशे ही नहीं मिल रहा है। मैं ने कहा .... ईएसपीएन तो है बस उस की जगह बदल दी गई है। ठीक से तलाशा ही न होगा। कहने लगे ......मैं ने तो सारा टीवी स्केन कर डाला दो दिन से कहीं फुटबॉल मैच दिखाई ही नहीं दिया। ....... दिखाई कैसे देता? दो दिन से मैच थे ही नहीं। अब आज से क्वार्टर फाइनल शुरू हो रहे हैं। आज जरूर दिखेगा। और वहीं दिखेगा जहाँ पहले देख रहे थे। 
ज हमने दोनों मैच देखने की पूरी तैयारी कर ली है। सब मुवक्किलों से कह दिया है कि जिसे भी काम हो साढ़े सात के पहले आ जाए। वरना मुवक्किल न लग कर पूरे दुश्मन लगोगे। सही सलामत मुवक्किलों ने तो बात मान ली है। पर कोई अचानक ही आ टपके तो उस का क्या किया जाएगा। यह ऐन वक्त ही सोचा जाएगा। पहले से बनाई गई नीति अक्सर फुटबॉल मैच में जा कर फेल हो जाती है। वहाँ तुरतबुद्धि ही काम आती है। होता यह है कि पूरी योजना बना कर पूरी टीम के खिलाड़ी विपक्षी के  गोल तक फुटबॉल ले जाते हैं और ऐन मौके पर रक्षक गोल बचा ही नहीं लेता साथ ही अपनी टीम के खिलाड़ी को पास दे देता है और विपक्षी फुटबॉल को ऐसा पकड़ते हैं कि मिनट पूरा होने के पहले ही गोल कर डालते हैं। रणनीति धरी रह जाती है। मैं सोचता हूँ कम से कम मेरे साथ ऐसा न हो। मैच के दौरान कोई मुवक्किल आ जाए और जाए तब तक मैच ही पूरा हो ले। हाँ दूसरे मैच में इस तरह का कोई खतरा नहीं है। पर इस बात का पूरा खतरा है कि नींद आ जाए। उस की पैड़ बांधने को हम ने दिन में पन्द्रह मिनट की झपकी ले ली है। 
ज दो मैच हैं, पहला ब्राजील और हॉलेंड के बीच। यूँ हॉलेंड की टीम अच्छी है, ब्राजील को रोक सकती है। लेकिन हमारा मत ब्राजील के पक्ष में है। इसलिए नहीं कि वह टीम अच्छी नहीं है। टीम तो वह अच्छी है ही। पर उस के पक्ष में एक सब से मजबूत कारण ये है कि उस में काले खिलाड़ी अधिक संख्या में हैं। जब भी काले और गोरों के बीच मैच हो तो हम हमेशा कालों के साथ खड़े होते हैं। यह हम ने हमारे गुरूजी वकील सज्जनदास जी मोहता से सीखा। जब भी भारत का मैच वेस्टइंडीज और श्रीलंका के साथ होता था तो वे हमेशा वेस्टइंडीज या श्री लंका के साथ होते थे। यदि श्रीलंका और वेस्टइंडीज के बीच होता तो वे वेस्टइंडीज के साथ होते थे। कारण कि वेस्टइंडीजी श्रीलंकाइयों से अधिक काले हैं। पर उन का फारमूला हम पूरा न अपना पाए। जब भी भारत का मैच होता है तो अपुन का दिल फिसल जाता है। ये काले वाली थियरी गोल हो जाती है। तो पहले मैच में हम ब्राजील की तरफ होंगे।
दूसरा मैच घाना और पराग्वे के बीच है। एक तो पराग्वे के खिलाड़ी घाना वालों का मुकाबला कालेपन में नहीं कर सकते। दूसरा ये कि घाना अफ्रीका महाद्वीप की अकेली टीम मुकाबले में रह गई है। अफ्रीका सारी दुनिया के इंसानों की पैदाइश की जगह है। उस महाद्वीप की इकलौती बची टीम क्वार्टर फाइनल में बाहर हो जाए ये कतई अच्छा न लगेगा। हाँ, ये जरूर है कि बाहर हो भी जाए तो हम फुटबॉल देखना छोड़ न देंगे। वैसे भी  इस मैच को दुनिया के ज्यादातर मर्द देखने वाले हैं। आखिर पराग्वे की खूबसूरत मॉडल लारिसा रिक्वेल के जलवे पराग्वे के हर मैच के दौरान देखने को जो मिलते हैं। वे कम साहसी नहीं हैं। जहाँ फुटबॉल के नामी सितारे और अर्जेंटीना टीम के मौजूदा कोच माराडोना ने जब ये घोषणा की कि उन की टीम इस विश्वकप को हासिल कर सकी तो वे मादरजात सड़क पर दौड़ेंगे,  तो उस मुकाबले को केवल इसी हसीना ने झेला और जवाबी हमला किया कि पराग्वे विश्व चैंपियन बना तो वे भी मादरजात केवल शरीर को पराग्वे खिलाड़ियों की यूनिफॉर्म के रंग पुतवाकर स्ट्रीट में दौड़ लगाएँगी। अब हम नहीं चाहते कि इस हसीना को ऐसा करना पड़े। इस लिए हमारा वोट घाना के हक में रहेगा। काशः घाना आज के दूसरे मैच में जीत कर सेमीफाइनल खेले और इतिहास रचे।

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्राजील को हालैंड ने ठोक दिया. मुझे तो ज़रा भी उम्मीद नहीं थी.

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  2. ब्राजील ने मट्टी पलीद करा ली । हीरों से भरी टीम का यह हश्र ।

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  3. ाच्छी पोस्ट मगर मेरे लिये सब नई जानकारी है। धन्यवाद्

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