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मंगलवार, 21 जुलाई 2009

वर्जनाएँ अब नहीं -गीत * महेन्द्र 'नेह'

तनाव तो था काम का,  पर जुकाम होने की गाज गिरी आइस्क्रीम पर जो रविवार एक मित्र के सम्मान समारोह में खाई गई थी।  उसी जुकाम में कल काम करना पड़ा और आज भी अदालत जाना ही पड़ेगा, और कोई चारा नहीं है। रात को पंखे की हवा में सर्दी सी महसूस हो रही है। पंखा बंद करूंगा तो पत्नी जाग लेगी। मैं अपने ऑफिस में आ बैठा हूँ।  कुछ करने की स्थिति में नहीं। चलिए आप को महेन्द्र 'नेह' का का एक गीत पढ़ाते हैं........

वर्जनाएँ अब नहीं
  • महेन्द्र 'नेह'


आसमानों
अर्चनाएँ, वंदनाएँ अब नहीं

जिन्दगी अपनी
किसी की मेहरबानी भर नहीं
मौत से बढ़ कर 
कोई आतंक कोई डर नहीं

मेहरबानों याचनाएँ, दासताएँ अब नहीं

ये हवा पानी 
जमीने ये हमारे ख़्वाब हैं
ये गणित कैसी 
ये सब के सब तुम्हारे पास हैं

देवताओं 
ताड़नाएँ, वर्जनाएँ अब नहीं

जन्म से पहले
लकीरें हाथ की तय हो गईँ
इक सिरे से 
न्याय की संभावना गुम हो गई

पीठिकाओं 
न्यायिकाएँ, संहिताएँ अब नहीं।

************************                        
इस वृक्ष का नाम 'अब नहीं' (not now) है।

13 टिप्‍पणियां:

  1. "ये हवा पानी जमीने ये हमारे ख़्वाब हैं
    ये गणित कैसी ये सब के सब तुम्हारे पास हैं
    देवताओं ताड़नाएँ, वर्जनाएँ अब नहीं"

    इन पंक्तियों का सात्विक दृढ़ भाव और तीव्रता आकर्षित करती है । महत्वपूर्ण पंक्तियाँ । धन्यवाद ।

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  2. जबरदस्त!! नेह जी को पढ़ कर हमेशा ही आनन्दित हो लेते हैं. आपका आभार!!

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  3. देवताओं
    ताड़नाएँ, वर्जना
    ........
    अच्छी लगी यह रचना.

    जवाब देंहटाएं
  4. जिन्दगी अपनी
    किसी की मेहरबानी भर नहीं
    मौत से बढ़ कर
    कोई आतंक कोई डर नहीं

    अच्छी प्रस्तुति।
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  5. अद्भुत गीत महेन्द्र नेह जी और आपको नमन. पूरे दिन के लिये बडी उर्जा प्राप्त हुई.

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  6. बहुत सुन्दर गीत बहुत बहुत धन्यवाद नेह जी को बधाई आपके स्वास्थ्य के लिये शुभकामनायें

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  7. जुकाम तो हमें भी हुआ है पर लोगों ने उसे स्वाइन फ्लू होने का जो भ्रम फैलाया की मत पूछिए... टेस्ट और दवाइयाँ... खैर !

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  8. कविता बहुत पसंद आई। सहानुभूति से शायद जुकाम का प्रकोप कम हो, सो भेज रही हूँ।
    घुघूती बासूती

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  9. एक लाईन रह गयी...

    जन्म से पहले
    लकीरें हाथ की तय हो गई
    इक सिर से
    न्याय की संभावना गुम हो गई

    बहुत ही उम्दा गीत है....

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  10. ravikumarswarnkar
    कसर पूरी कर दी गई है। त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।

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