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सोमवार, 12 जनवरी 2009

दुनिया भर की लड़कियों के नाम, ‘यक़ीन’साहब की एक ग़ज़ल,

दुनिया भर की लड़कियों के नाम  
'यक़ीन' साहब की एक 'ग़ज़ल' 
  • पुरुषोत्तम ‘यक़ीन’ 
   
सोज़े-पिन्हाँ को बना ले साज़ लड़की!
    बोल ! कुछ तो बोल बेआवाज़ लड़की!

 
                       लब सिले हैं और आँखें चीख़ती हैं
                       कैसी चुप्पी है ये कैसा राज़ लड़की!

 
    क्यूँ बया बन कर रही, बुलबुल बनी तू
    काश अपने को बना ले बाज़ लड़की!

 
                        फ़ित्रतन ज़ालिम है ये मक्कार दुनिया
                        क्यूँ है तू मासूम मिस्ले-क़ाज़ लड़की!

 
    इक कबूतर-सी फ़क़त पलकें न झपका
    लोग दुनिया के हैं तीरन्दाज़ लड़की!    

 
                         तू कोई अबला नहीं, पहचान ख़ुद को
                         और बदल तेवर तेरा अन्दाज़ लड़की!

 
    गूँज कोयल की कुहुक-सी वादियों में

    बन्द कर ये सिसकियों का साज़ लड़की!
 
                           सोच इस दुनिया को तुझ से बैर क्यूँ है
                           क्यूँ है इक मोनालिसा पर नाज़ लड़की!

 
    क़त्ल क्यूँ होती है तेरी कोख में तू
    क्या हुआ जननी का वो ऐज़ाज़ लड़की!

 
                            तू तो माँ है, क्यूँ तुझे समझा खिलौना
                            पूछ इन मर्दों से ओ ग़मबाज़ लड़की!

 
    तू नहीं दुनिया से, इस दुनिया से मत डर
    तुझ से है ये दुनिया-ए-नासाज़ लड़की!

 
                            अब स्वयं नेज़ा उठा, लिख भाग्य अपना
                            कर नए अध्याय का आग़ाज़ लड़की!

 
    कौन तन्हा जीत पाया जंग कोई
    मिल के हल्ला बोल यक्काताज़ लड़की!

 
                              तेरे स्वागत को है ये आकाश आतुर
                              खोल कर पर तू भी भर परवाज़ लड़की!

 
    अपने आशिक़ पर नहीं लाज़िम तग़ाफ़ुल
    बेसबब मुझ से न हो नाराज़ लड़की!

 
                               अपनी कू़व्वत का नहीं अहसास तुझ को
                               कर ‘यक़ीन’ इस बात पर जाँबाज़ लड़की!




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17 टिप्‍पणियां:


  1. यह कहना गैर-ज़रूरी होगा कि,
    बेहतरीन ग़ज़ल है, मैं दोबारा पढ़ना चाहूँगा..
    पृष्ठांकित कर लिया है !

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  2. आधी रात को बहुत सुंदर रचना पढने को मिली्
    धन्यवाद

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  3. जोश और जज़्बा
    दोनोँ को आह्वान देती गज़ल
    बहुत अच्छी लगी
    -लावण्या

    जवाब देंहटाएं
  4. अद्‍भुत "इक कबूतर-सी फ़क़त पलकें न झपका / लोग दुनिया के हैं तीरन्दाज़ लड़की"

    धन्यवाद द्विवेदी जी इस गज़ल को पढ़वाने के लिये....

    जवाब देंहटाएं
  5. कामना तो यह है कि दुनिया की सारी ही लडकियां ऐसा करें किन्‍तु दुनिया की कम से कम एक लडकी इस गजल के किसी भी एक एक शेर पर अमल कर ले और दुनिया बदल दे।
    शानादार गुणित असंख्‍य का जो परिणाम आए उतनी शानदार गजल के लिए यकीनजी को बधाइयां और आपको अनन्‍त आभार।

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  6. बेहतरीन ग़ज़ल, ज़ज़बात झकझोरती ग़ज़ल, बधाई

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  7. har sher bahut gahara aur bahut samvedanshil...! Dr Amar kumar ji ki hi baat mai bhi kahungi

    जवाब देंहटाएं
  8. अब स्वयं नेज़ा उठा, लिख भाग्य अपना
    कर नए अध्याय का आग़ाज़ लड़की!
    "बेहतरीन ग़ज़ल ,शानादार"

    Regards

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  9. यकीनन गजल के भाव काफी खूबसूरत हैं।

    जवाब देंहटाएं
  10. तेरे स्वागत को है ये आकाश आतुर
    खोल कर पर तू भी भर परवाज़ लड़की!
    अपनी कू़व्वत का नहीं अहसास तुझ को
    कर ‘यक़ीन’ इस बात पर जाँबाज़ लड़की!

    इस ग़ज़ल के लिए दुनिया भर की लड्कियों की तरफ से यक़ीन साहब को धन्यवाद.

    इतनी सुन्दर ग़ज़ल पढवाने के लिए आपका आभार द्विवेदी जी.

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  11. इक कबूतर-सी फ़क़त पलकें न झपका
    लोग दुनिया के हैं तीरन्दाज़ लड़की! behad khoobsurat gazal. kya kahane . badhai.

    जवाब देंहटाएं
  12. इक कबूतर-सी फ़क़त पलकें न झपका
    लोग दुनिया के हैं तीरन्दाज़ लड़की! behad khoobsurat gazal. kya kahane . badhai.

    जवाब देंहटाएं

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