अनवरत के आलेख अर्धविराम (;), अल्पविराम (,), प्रश्नवाचक चिन्ह(?) और संबोधन चिन्ह (!) कैसे लगाएँ? पर अनेक टिप्पणियाँ हुई। एक अन्य ब्लाग पर एक आलेख में इस पर एक स्नेहासिक्त छेड़ छाड़ भी पढ़ने को मिली। वहाँ जो बात लपेट कर कही गई थी, उस पर मैं उतने ही आदर के साथ टिपिया कर आ गया हूँ।
बैरागी जी, इस मामले को यहीं न छोड़ने के लिए आदेश दिया था। इसलिए फिर से एक संक्षिप्त बात यहाँ कर रहा हूँ।
मैं ने उस आलेख में जो भी कुछ लिखा था, वह न तो व्याकरण से संबंध रखता था और न ही भाषा से। उस का संबंध विराम चिन्हों से भी नहीं था। सभी भाषा को अपने हिसाब से सीखते हैं और अपने हिसाब से लिखते हैं। जो भी लिखता है उस का संबंध अपने लिखे से होता है। लेखक का लेखन एक तरह से लेखक के व्यक्तित्व के एक पक्ष को सामने लाता है। यह प्रत्येक व्यक्ति की अपनी आजादी है कि वह किस तरह से स्वयं को और अपने विचारों को प्रकट करना चाहता है। मेरे आलेख का आशय कतई यह नहीं था कि मैं किसी की अपनी आजादी में दखल देना चाहता हूँ, या किसी की गलती की ओर उस का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ।
मेरा उस आलेख का मंतव्य मात्र इतना ही था कि विराम चिन्ह इस तरह लगें कि पूर्ण विराम वाक्य के अंत में इस तरह लगे कि उस का एक अभिन्न भाग बना रहे। उस से अगले वाक्य का भाग न लगे। विशेष रुप से ऐसा तो कभी न हो कि वाक्य एक पंक्ति में समाप्त हो जाए और पूर्ण विराम अगली पंक्ति के आरंभ में लगा हो और अगला वाक्य वहाँ से आरंभ हो रहा हो।
कंप्यूटर पर आरंभ में जब मैं टाइपिस्ट से टाइप कराने लगा तभी यह समस्या सामने आई थी और तब हम ने उस का हल यही खोज निकाला था कि वाक्य के अंतिम शब्द और पूर्ण विराम के बीच कोई रिक्ती (स्पेस) न छोड़ी जाए। हमने देखा कि बिना कोई स्पेस छोडे़ पूर्ण विराम लगाने के उपरांत एक रिक्ति (स्पेस) छोड़ कर अगला वाक्य प्रारंभ करने पर भी पूर्ण विराम बीच में मध्यस्थ की भांति खड़ा नजर आता है। तो हमने पूर्ण विराम के उपरांत दो रिक्तियाँ (डबल स्पेस) छोड़ना आरंभ कर दिया। इस से टाइपिंग की सुंदरता बढ़ गई और अपरूपता समाप्त हो गई।
बाद में जब मैं ने कम्प्यूटर लिया और खुद टाइपिंग की जरूरत पड़ी तो मैं बाजार से टाइपिंग सिखाने वाली पुस्तक खरीद कर लाया, जो मनोज प्रकाशन मंदिर, 31/8, जागृति विहार, मेरठ द्वारा प्रकाशित है। इस पुस्तक के टंकण गति प्राप्त करने के नियमों में पहला नियम यही है कि, "प्रत्येक विद्यार्थी को हिन्दी तथा अंग्रेजी टंकण में पूर्ण विराम, प्रश्नवाचक चिन्ह, विस्मय बोधक चिन्ह को शब्द के तुरंत बाद लगा कर दो स्पेस छोड़ना चाहिए, अन्यथा आधी गलती मानी जाएगी।"
मैं ने उक्त नियम का पालन किया, और कर रहा हूँ। इस से सुन्दरता बढ़ी है और गति भी। इस पुस्तक में और भी नियम दिए हैं. वे कभी बाद में, आज इतना ही बहुत है। हाँ बेंगाणी जी ने कहा है कि वे पूर्ण विराम के स्थान पर अंग्रेजी में प्रयुक्त होने वाले बिंदु का प्रयोग करते हैं। वह भी सही है क्यों कि कोई चालीस वर्ष पहले यह तय हुआ था कि विराम चिन्ह और अंक अंग्रेजी वाले ही प्रयोग किये जाएँ जिस से सभी भाषाओं में एक रूपता बनी रहे। इस बहुत से प्रकाशनों ने अपनाया। करीब चालीस वर्ष से तो टाइम्स ऑफ इंडिया प्रकाशनों में सभी में इन का प्रयोग होता चला आ रहा है। मुझे देवनागरी लिखते समय जिस में सभी अक्षर समान लंबाई के होते हैं पूर्ण विराम के स्थान बिंदु लगाना सौंदर्य की दृष्टि से ठीक नहीं लगा और मैं ने छोड़ दी गई खड़ी पाई को फिर से अपना लिया। कम से कम वह बिना मात्रा के अक्षर के बराबर तो होती है। बिंदु तो नीचे की तरफ वाहन के टायर के नीचे लगाए गए ओट के पत्थर की तरह लगता है। यह मेरी स्वयं की सौंदर्य दृष्टि के कारण ही है। हालांकि मैं भी मानता हूँ कि बेंगाणी जी का सुझाव अधिक उत्तम है। यदि देवनागरी लिखने वाले अधिकांश लेखक बिंदु को पूर्ण विराम की खड़ी पाई के स्थान पर अपना लें तो लिखने पढ़ने वालों की सौंदर्यदृष्टि भी बदलेगी और बिंदु भी सुंदर लगने लगेगा।
आलेख के सौन्दर्य की वृद्धि तो निश्चये ही हो जाती है बिन्दु के स्थान पर खड़ी पाई का प्रयोग करने से. मैं बरहा के उपयोग से टिप्पणी दे रहा हूं, इसमें खड़ी पाई नहीं दे पा रहा हूं. मैं जानता ही नहीं कि यह किस बटन से लगाया जा सकता है? परन्तु अपने आलेख में मैं खड़ी पाई का ही प्रयोग करता हूं.
जवाब देंहटाएंआलेख के लिये धन्यवाद.
विराम चिन्ह उपयोग में तभी लाने चाहिये जब लिखते लिखते बीच में आराम करना हो, जितनी देर का आराम उस हिसाब से चिन्ह। ये सब तो मैं मजाक में कह रहा हूँ लेकिन मैं इतने डिटेल में ये सब नही देखता पर हाँ विराम चिन्हों के बाद एक स्पेस हमेशा छोड़ता हूँ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी -धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंपिछली चिट्ठी में आपके द्वारा बताये गये चिन्हों पर ही नहीं पर बिना जगह छोड़े व्याकरण के सारे चिन्हों को इसी प्रकार लगाना चाहिये। आपने quotation marks को छोड़ दिया। यह बात अन्य चिन्हों पर भी लगती है जैसे @, % के चिन्ह।
जवाब देंहटाएंयह साधारण नियम है पर कई चिट्ठाकार बन्धु इसे न तो जानते हैं न ही समझ पाते हैं। मैंने यह गलती अक्सर होते देखी है। मैंने कई जगह टिप्पणी कर लोगो को सही नियम भी बताया है पर कुछ को समझ में नहीं आया। आपने बात को सुन्दर ढ़ंग से लिखा आसानी से समझ में आ रही है।
हांलाकि मेरे विचार से पूर्णविराम के बाद कितनी जगह छोडी जाय यह लिखने वाले पर है पर कम से कम एक जगह छोड़नी चाहिये। मेरे विचार से दो जगह छोड़ना ठीक नहीं है यह बेकार में जगह घेरता है। यह जगह भी कम लेता है।
जहां तक किसी पाठ को जोर से पढ़ने की बात है वहां अर्धविराम के बाद जितनी देर रुका जाता है उससे कुछ अधिक देर तक पूर्ण-विराम के बाद रुकना चाहिये। यहां पर आपका नियम लागू होता है। यदि आप अर्धविराम के बाद १ सेकन्ड रुकें तो पूर्ण-विराम के बाद २ सेकन्ड तक रुकना चाहिये पर जहां तक मुझे मालुम है यह नियम लिखने में नहीं लागू होता है।
यह बात भी सच है कि अधिकतर लोगों को यह ठीक प्रकार से ज्ञान नहीं है कि कौन सा व्याकरण का चिन्ह कब लगाना चाहिये।
पूर्ण विराम के बाद दो स्थान छोड़ने की बात हमें अच्छी लगी. पर यदि ऐसा करेंगे तो अल्प या अर्ध विराम के बाद भी एक स्थल छोड़ना उचित प्रतीत होता है. बाकी आपकी मर्ज़ी, आप जैसा बोलें.
जवाब देंहटाएंsarthak bahas jari rahe. narayan narayan
जवाब देंहटाएंहमारे जैसे नौसिखियों के लिये आपने बहुत उपयोगी जानकारी दी, दोनों आलेखो में. आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है, पूर्ण विराम के बाद हिन्दी टाइप में 2 स्पेस छोडने का नियम है, पर बहुत से लोग इसे फालो नहीं करते। मुझे भी पता नहीं क्यों आज भी एक स्पेस छोडना ही अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएं@ जाकिर भाई यह हिन्दी में ही नहीं अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में भी है। पता नहीं क्यों लोग इसे अपना नहीं रहे है।
जवाब देंहटाएंहम भी प्रयोग करने की कोशिश करेंगे. भाषा कोई भी हो जब रूचि से लिखी जाती है तो उसे पढने का मन करता है. हमें इसे बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंबढ़िया लेख है।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर ओर उपयोगी जान करी दी आप ने लेकिन कई बार की बोर्ड की कठिनाईयां भी आती है, ओर कई शब्द लिखे भी नही जा सकते, ओर कई बार हम लिखते तो बहुत मेहनत कर के सही है(जिस लेख पर ज्यादा मेहनत करो) लेकिन जब प्रकाशित होती है तो उस मे सब से ज्यादा गलतियां हो जाती है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
आपने इस पोस्ट के माध्यम से बहुत ही उपयोगी जानकारी प्रदान की.
जवाब देंहटाएंमैं प्रारम्भ से ही खडी पाई की अपेक्षा बिन्दु का प्रयोग करता आ रहा हूं, क्यों कि मुझे इसके लिए अपने कीबोर्ड में कोई बटन ही नहीं दिखाई दे रहा है.
अगर हो सके तो कृ्प्या खडी पाई के प्रयोग के बारे में बतानें की चेष्टा करें .
आपके उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी.
धन्यवाद
अच्छी सी जानकारी है। उन्मुक्तजी की बात से मैं भी सहमत हूं-यदि आप अर्धविराम के बाद १ सेकन्ड रुकें तो पूर्ण-विराम के बाद २ सेकन्ड तक रुकना चाहिये पर जहां तक मुझे मालुम है यह नियम लिखने में नहीं लागू होता है।
जवाब देंहटाएंमेरे निवेदन पर ध्यान देने के लिए कोटिश: धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंआपकी बात को मैंने पूर्णत: वैयाकरणिक सन्दर्भ में ही लिया था। तब, आपकी (इससे पहले वाली)पोस्ट पर टिप्पणी करने के बाद मैंने इस पर काफी सोचा और अनुभव किया कि तकनीक को अपने पक्ष में उपयोग करने में आपकी बात सहायक होती है और यह व्यावहारिक भी है। विशेषकर - अन्तिम शब्द के बाद, बिना किसी रिक्ती के, पूर्ण विराम लगाने से वह (पूर्ण विराम) उस शब्द का ही हिस्सा बन जाता है और इसीलिए वह (पूर्ण विराम) पृथक शब्द के रूप में अगली पंक्ति में नहीं जाता, अपने मूल शब्द के साथ ही जाता या बना रहता है । निस्सन्देह इससे पाठ की सुन्दरता बढती है। यह मेरी समस्या भी थी जिसे आपने हल कर दिया।
अब इसका अभ्यास,ध्यान रख कर करना पडेगा । देखता हूं, पके हांडे में मिट्टी कब लग पाती है।
बहरहाल, आपको फिर से धन्यवाद और आभार।