अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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गुरुवार, 31 अगस्त 2023
रुक गए और पीछे को लौट रहे लोगों को साथ लेने की कोशिश भी जरूरी है
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कल मैंने राखी बांधने के सन्दर्भ को लेकर मुहूर्तों की निस्सारता पर एक पोस्ट लिखी थी। उस पर मुझे दो गंभीर उलाहने मिले। पहला उलाहना मिला मेरे अ...
बुधवार, 30 अगस्त 2023
मुहूर्तों की निस्सारता
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लेकिन मुहूर्त देखने का व्यवसाय करने वाले ब्राह्मणों, गैर ब्राह्मणों और अखबारों, वेबसाइटों और मीडिया ने आज भी भद्रा -भद्रा का जाप करके भसड़ म...
मंगलवार, 8 अगस्त 2023
पितृसत्ता खुद ही खुद को नष्ट करने के उपाय कर रही है
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आज राजस्थान पत्रिका के संपादकीय पृष्ठ पर समाज शास्त्री और स्तंभकार ऋतु सारस्वत का लेख छपा है "विवाह संस्था को कमजोर करेंगे लैंगिक आधार...
मंगलवार, 1 अगस्त 2023
नस्लीय और धार्मिक राष्ट्रवाद लोगों को हत्यारों में तब्दील कर देते हैं
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क्या आप जानते हैं साथ के इस चित्र में यह क्या है? इसे क्या कहते हैं? इस औजार का नाम fasces है, यह एक लैटिन शब्द है और यह औजार प्राचीन रोम म...
सोमवार, 31 जुलाई 2023
क्या हम वास्तव में राष्ट्रवादी हैं? – प्रेमचंद
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भारत के राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन में राष्ट्रवाद की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण और निर्णायक रही है. लेकिन उस दौर में राष्ट्रवाद की कई किस्में मौज...
शुक्रवार, 7 जुलाई 2023
किस के पास है बेरोजगारी का इलाज?
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आप कहीं किसी नगर, कस्बे में चले जाएँ, या सड़क मार्ग से सफर करते हुए जाएँ, आपको हर जगह बेशुमार थड़ियाँ मिलेंगी। सड़क पर बैठ कर लोग सामान बेच...
मंगलवार, 6 जून 2023
दो कब्रें
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"कहानी" प्रेमचंद अब न वह यौवन है, न वह नशा, न वह उन्माद। वह महफिल उठ गई, वह दीपक बुझ गया, जिससे महफिल की रौनक थी। वह प्रेममूर्ति क...
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