अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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सोमवार, 19 दिसंबर 2016
वे देेर तक हाथ हिलाते रहे
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___________________ लघुकथा ब हिन को शाम को जाना था। छुट्टी का दिन था। वह स्टेशन तक छोड़ने जाने वाला था। तभी कंपनी से कॉल आ गई। न...
रविवार, 11 दिसंबर 2016
अब तो मैं यहीं निपट लिया
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'लघुकथा' ब स स्टैंड से बस रवाना हुई तब 55 सीटर बस में कुल 15 सवारियाँ थीं। रात हो चुकी थी। शहर से बाहर निकलने के पहले शह...
रविवार, 4 दिसंबर 2016
वर्ना सुखा दूंगा
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ˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍˍ एक लघुकथा रा मचन्दर कई दिन से कमान पर तीर चढ़ा कर समन्दर को ललकार रहा था। -देख! सीधाई से रस्ता दे दे वर...
शुक्रवार, 25 नवंबर 2016
नोटबंदी की काली छाहँ में
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वि वाह के समय मेरी उम्र 19 साल साढ़े आठ महीने थी। मैं बीएससी अन्तिम वर्ष की परीक्षा दे चुका था। विवाह से 37 दिन बाद ही आपातकाल आरंभ हो...
बुधवार, 23 नवंबर 2016
ये नौ
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महेन्द्र नेह भाई “महेन्द्र नेह” को ... उपहार समझ लें उन के 69वें जन्मदिन पर ... 1. तुम्हारा पैसा दे दें तुम्हें तो प...
सोमवार, 21 नवंबर 2016
सिकुड़न
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कविता ____________ दिनेशराय द्विवेदी अहा! वह सिकुड़ने लगा लोग उसे आश्चर्य से देख रहे हैं वे भी जो अब तक उसे सिर पर उठाए हु...
ईमान का उत्सव
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कविता __________ दिनेशराय द्विवेदी एक शाम उस ने कहा कि उसे वे रंग पसंद नहीं है आधी रात से ये रंग कानून से खारिज ...
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