पेज
(यहां ले जाएं ...)
Home
▼
ये नौ
महेन्द्र नेह
भाई “महेन्द्र
नेह” को ...
उपहार समझ लें
उन के 69वें जन्मदिन पर ...
1.
तुम्हारा पैसा दे दें
तुम्हें
तो पूंजीपति को क्या दें ?
आखिर बैंक और हम
उसी ने बनाए हैं।
2.
वे हैं
जब तक
साजिशों का जाल है।
मौत के ऐलान के बाद
भी
जिन्दा बचे हैं
यही
तो उन का कमाल है।
3.
भूत कैसे मरे ?
मर कर ही तो बनता है।
इसलिए वह उसे
2000 की बोतल में बंद करता
है।
4.
बहुत जरूरत है
एक हिटलर एक मुसोलिनी बनाएँ।
न बने , तो
खुद को बनाएँ।
5.
उसके लक्षण ढूंढें
चरक , सुश्रुत , माधव
या हनिमेन की किताब में।
किसी रोग का सूत्र न
मिले
लाक्षणिक
चिकित्सा करें।
6.
आज कल वह हँसता नहीं
बस बात बात पर रो देता है।
परेशान है
अक्सर आपा खो देता है।
7.
मैं ने नया गेजेट
बनाया
इस में गेम है
गेम में सवाल हैं
सवालों के लिए कुछ बटन हैं
हर सवाल पर कोई बटन दबाओ
फिर
मैं फैसला करूंगा
मैं
जीता कि मैं हारा
कौन
उल्लू का पट्ठा
खुद
हारना चाहता है?
8.
ताजमहल
एक दुनियावी आश्चर्य
अपने अन्दर समेटे कब्र को
मंदिर
अपने अंदर समेटे एक मूरत
पार्लियामेंट ,
न
मंदिर न ताजमहल
इस
की सीढ़ी चूमो
एप
घिसो
इंसान
को उल्लू बनाने के
साधन
कम नहीं।
9.
असल बात जे है
के हम जिस की भौत इज्जत करैं
उसके पाँव छुएँ हैं
और खसक लेवैं हैं।
और हम
पार्लियामिंट की तो
भौत से भी भौत
इज्जत करैं हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....