अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 27 सितंबर 2015
भगतसिंह आज भी भारत की जनता के मार्गदर्शक हैं - शैलेन्द्र चौहान
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“सोये हुए शेरों उठो, और बगावत खड़ी कर दो” भ गत सिंह को भारत के सभी विचारों वाले लोग बहुत श्रद्धा और सम्मान से याद करते हैं। वे उ...
शनिवार, 5 सितंबर 2015
डरे न कोई जमना तट पर
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सहसमुखी विषधर जब कोई जमना जल पर काबिज हो ले उधर पड़े ना पाँव किसी का जमना तट वीराना हो ले बच्चे खेलें जा कर तट पर भय न उन को कोई सताए...
शनिवार, 29 अगस्त 2015
राखी - "हम सब साथ साथ हैं"
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रा खी स्नेहपूर्ण मृदुल त्यौहार है। एक युग था जब इसे रक्षा के त्यौहार के रूप में मनाया जाता था। लेकिन उस रूप में उस का महत्व तभी तक रह सकता...
गुरुवार, 27 अगस्त 2015
भण्डारा
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'लघुकथा' भि खारियों को भोजन के लिए बाजार वालों ने भण्डारा किया। बाजार को कनातें लगा कर बन्द कर दिया गया था। सड़क को नगर निगम ...
सोमवार, 10 अगस्त 2015
इंसाफ माँगा था, इस्लाम मिला ! ... - भंवर मेघवंशी
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भगाना जिला हिसार हरियाणा के दलितों ने अत्याचारों के विरोध में हिन्दू धर्म त्याग कर सार्वजनिक रूप से जन्तर मन्तर पर इस्लाम को अपना लिय...
शनिवार, 11 जुलाई 2015
'घड़ीसाज'
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'लघुकथा' 'घड़ीसाज' - दिनेशराय द्विवेदी - कुछ सुना तुमने? - क्या? - अरे! तुमने रेडियो नहीं सुना? टीवी नहीं देखा...
शुक्रवार, 19 जून 2015
न्याय और कार्यपालिका के बीच शीत गृह-युद्ध
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दे श में शीत गृहयुद्ध जारी है। हमारी न्याय व्यवस्था जर्जर होने की सीमा तक पहुँच गयी है। कहीं कहीं फटी हुई भी है। फटने से हुए छिद्रों को छु...
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