अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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मंगलवार, 4 अगस्त 2009
पुरुष बहुत्वम् : पुरूष अनेक हैं।
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पिछले पाँच आलेखों में साँख्य के बारे में जो कुछ लिखा गया उस में पुरुष कहीं नहीं था। वस्तुतः अब तक साँख्य को कहीं भी पुरुष की आवश्यकता नही...
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शनिवार, 1 अगस्त 2009
परवर्ती साँख्य में 25वें तत्व 'पुरुष' का प्रवेश
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हम ने पिछले आलेख में मूल साँख्य के 24 त त्वों के बारे में चर्चा की थी जो 1. प्रधान या प्रकृति 2. महत् या बुद्धि 3. अहंकार 4. मनस या मन ...
12 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 31 जुलाई 2009
मूल साँख्य के चौबीस तत्व
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मूल साँख्य को जानने के लिए हमने अपना आरंभ बिन्दु शंकर और रामानुज द्वारा ब्रह्मसूत्र की व्याख्या करते हुए की गई साँख्य की आलोचना को चुना था। ...
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बुधवार, 29 जुलाई 2009
प्रकृति के तीन गुण सत्, रजस और तमस् क्या हैं?
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गुण शब्द से हमें किसी एक पदार्थ की प्रतीति न हो कर, उस गुण को धारण करने वाले अनेक पदार्थों की एक साथ प्रतीति होती है। जैसे खारा कह देने से ...
9 टिप्पणियां:
मंगलवार, 28 जुलाई 2009
प्रकृति के तीन गुण सत्, रजस और तमस में असमानता से बुद्धि और अहंकार का विकास
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सांख्य का मूल वैदिक साहित्य, उपनिषदों से ही आरंभ हो जाता है। बौद्ध ग्रंथों में उस के उल्लेख से उस की प्राचीनता की पुष्टि होती है, उस पर ईसा...
14 टिप्पणियां:
रविवार, 26 जुलाई 2009
कैसे जानें? मूल साँख्य
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अनवरत के आलेख कहाँ से आते हैं? विचार! में साँख्य दर्शन का उल्लेख हुआ था। तब मुझ से यह अपेक्षा की गई थी कि मैं साँख्य के बारे में कुछ लिखू...
16 टिप्पणियां:
बुधवार, 22 जुलाई 2009
हम भी देखेंगे एनडीटीवी
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अस्वस्थता में वकालत के दायित्वों के कारण मेरा भुर्ता बना हुआ है। पर मुई बिलागिरी खींच ही लाती है। ज्यादा पोस्टें पढ़ ही नहीं पा रहे तो टिप...
22 टिप्पणियां:
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