अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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सोमवार, 9 मई 2011
बुरा नहीं प्रकाशन का व्यवसाय
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मैं लॉबी से लौटा तो मुझे अपने बैग की चिंता हुई, कहीं कोई उसे न ले उड़े। लेकिन बैग हॉल में यथा स्थान मिल गया वहीं मुझे सिरफिरा जी मिल गए, अप...
23 टिप्पणियां:
शनिवार, 7 मई 2011
मुख्य अतिथि के असम्मान से उखड़ा मूड खुशदीप का
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ब्ला गरों का सम्मान समाप्त होने को था तभी शाहनवाज हॉल में आए। कहने लगे कि खुशदीप भाई तो चले गए। मुझे यह अजीब लगा। उन्हों ने बताया कि दूसरे स...
21 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 23 अप्रैल 2010
मैं उन्हें खुशदीप जी कहता रहूँ तो क्या वे कम निकटता, कम स्नेह महसूस करेंगे?
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चाची जी ज ब मैं पाँच बरस का था तो चाचा जी की शादी हुई। चाची जी घऱ में आ गईं। खिला हुआ गोरा रंग और सुंदर जैसे मंदिर में सजी हुई गौरी हों। उस...
31 टिप्पणियां:
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