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Purush
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शुक्रवार, 7 अगस्त 2009
सांख्य का सार
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हम सांख्य को संक्षेप में इस तरह समझ सकते हैं- 1. प्रलय की अवस्था में सारा पदार्थ, समस्त तत्व एक अपूर्वता (Singularity) में निहीत होता है।...
13 टिप्पणियां:
गुरुवार, 6 अगस्त 2009
जगत का विकास, प्रलय और पुनः जगत का विकास
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साँख्य कारिका के पुरुष केवल अनुमान हैं। ईश्वर कृष्ण कहते हैं कि ये सब प्रकृति के तत्व हैं वे सब उपभोग के लिए हैं इस कारण भोक्ता जरूरी है। इ...
15 टिप्पणियां:
मंगलवार, 4 अगस्त 2009
पुरुष बहुत्वम् : पुरूष अनेक हैं।
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पिछले पाँच आलेखों में साँख्य के बारे में जो कुछ लिखा गया उस में पुरुष कहीं नहीं था। वस्तुतः अब तक साँख्य को कहीं भी पुरुष की आवश्यकता नही...
8 टिप्पणियां:
शनिवार, 1 अगस्त 2009
परवर्ती साँख्य में 25वें तत्व 'पुरुष' का प्रवेश
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हम ने पिछले आलेख में मूल साँख्य के 24 त त्वों के बारे में चर्चा की थी जो 1. प्रधान या प्रकृति 2. महत् या बुद्धि 3. अहंकार 4. मनस या मन ...
12 टिप्पणियां:
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