अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012
किरपा का धंधा और आत्मविश्वास
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घ र से अदालत तक के नौ किलोमीटर के मार्ग के ठीक बीच में है बाबूलाल की पान की दुकान। मैं जाते समय रोज वहाँ रुकता हूँ, पान लेने के लिए...
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रविवार, 21 अगस्त 2011
भट्टी में जाने के पहले, ईंट ये गल-बह जाए
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स त्ताधीश का कारोबार बहुत जंजाली होता है। उसे सदैव भय लगा रहता है कि कहीं सत्ता उस के हाथ से छिन न जाए। इस लिए वह अपने जंजाल को लगातार विस...
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