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क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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सोमवार, 9 अक्टूबर 2023
इमोजियाँ
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पहले मात्र इशारे थे और थे स्वर व्यंजन सभी भविष्य के गर्भ में छिपे थे शनैः शनैः मनुष्य ने उच्चारना सीखा तब जनमें व्यंजन वह पत्थरों पर पत्थर...
मंगलवार, 6 दिसंबर 2011
राज्य, उत्पीड़ित वर्ग के दमन का औजार : बेहतर जीवन की ओर -16
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इ स श्रंखला की छठी कड़ी में ही हम ने यह देखा था कि मानव गोत्र समाज वर्गों की उत्पत्ति के उपरान्त वर्गों के बीच ऐसे संघर्ष को रोकने के लिए ...
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सोमवार, 31 मई 2010
मनुष्य के श्रम से विलगाव के जैविक और सामाजिक परिणाम
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आ ज सुबह अदालत में जब हम चाय के लिए जा रहे थे तो वरिष्ट वकील महेश गुप्ता जी ने पीछे से आवाज लगाई। मैं मुड़ा तो देखता हूँ कि पंचानन गुरू मौ...
9 टिप्पणियां:
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