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क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!

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गुरुवार, 29 मार्च 2012

ओलों से सर की बचत के लिए हम बालों के मोहताज नहीं

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को ई सर मुड़ा कर नाई की दुकान से निकला ही हो और आसमान से ओले गिरने लगे हों ऐसा छप्पन साल की जिन्दगी में न  तो सुना और न ही अखबार में पढ़ा।...
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दिनेशराय द्विवेदी
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