अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रामदेव
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रामदेव
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बुधवार, 15 जून 2011
'हाँ' या 'ना' ... ? ... ? ... ?
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जनता! ओ, जनता!! तु म तो जानती ही हो, ये जनतंत्र है। हम हर पाँच बरस में तुम्हारे पास आते हैं। तुम्हारे लिए पलक पाँवड़े बिछाते हैं। घर-घर ...
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शनिवार, 11 जून 2011
अब तो अंगोछा मेरा है
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अ दालतों में अपने काम निपटा कर अपनी बैठक पर पहुँचा तो वहाँ एक जवान आदमी मेरे सहायक से बात कर रहा था। पैंट शर्ट पहनी हुई थी उस ने लेकिन गले म...
21 टिप्पणियां:
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