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गुरुवार, 28 मई 2009
महालक्ष्मी ताऊपने के बिना एकत्र क्यों नहीं होती? : जनतन्तर कथा (36)
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हे, पाठक! अगली रात्रि का भी जब दूसरा प्रहर समाप्त होने को था, तब सनत ने संपर्क किया। दृश्यवार्ता में संपर्क बन जाने पर सूत जी बोले- सनत! म...
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सूत जी ने माना, वे सठिया गए हैं : इस युग का प्रधान वैषम्य : जनतन्तर कथा (35)
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हे, पाठक! सूत जी को नैमिषारण्य पहुँचे तीन दिन व्यतीत हो गए। चौथे दिन वे कार्यालय पहुँच कर पीछे से दो माह में हुई गतिविधियों के बारे में ...
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