अनवरत
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दुर्गादान सिंह गौड़
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दुर्गादान सिंह गौड़
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शुक्रवार, 14 जनवरी 2011
नैण क्यूँ जळे रे म्हारो हिवड़ो बळे
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स ब के ताँई बड़ी सँकराँत को राम राम! ब खत खड़ताँ देर न्हँ लागे। दन-दन करताँ बरस खड़ग्यो, अर आज फेरूँ सँकराँत आगी। पाछले बरस आप के ताँईं ...
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गुरुवार, 14 जनवरी 2010
बिलाग जगत कै ताईँ बड़ी सँकराँत को राम राम! आज पढ़ो दाभाई दुर्गादान सींग जी को हाड़ौती को गीत
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सब कै ताईँ बड़ी सँकराँत को घणो घणो राम राम ! ब्ला गीरी की सुरूआत सूँ ई, एक नियम आपूँ आप बणग्यो। कै म्हूँ ईं दन अनवरत की पोस्ट म्हारी बोली ...
15 टिप्पणियां:
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