अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
पेज
(यहां ले जाएं ...)
Home
▼
तमस
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
तमस
लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं.
सभी संदेश दिखाएं
मंगलवार, 4 अगस्त 2009
पुरुष बहुत्वम् : पुरूष अनेक हैं।
›
पिछले पाँच आलेखों में साँख्य के बारे में जो कुछ लिखा गया उस में पुरुष कहीं नहीं था। वस्तुतः अब तक साँख्य को कहीं भी पुरुष की आवश्यकता नही...
8 टिप्पणियां:
शनिवार, 1 अगस्त 2009
परवर्ती साँख्य में 25वें तत्व 'पुरुष' का प्रवेश
›
हम ने पिछले आलेख में मूल साँख्य के 24 त त्वों के बारे में चर्चा की थी जो 1. प्रधान या प्रकृति 2. महत् या बुद्धि 3. अहंकार 4. मनस या मन ...
12 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 31 जुलाई 2009
मूल साँख्य के चौबीस तत्व
›
मूल साँख्य को जानने के लिए हमने अपना आरंभ बिन्दु शंकर और रामानुज द्वारा ब्रह्मसूत्र की व्याख्या करते हुए की गई साँख्य की आलोचना को चुना था। ...
9 टिप्पणियां:
बुधवार, 29 जुलाई 2009
प्रकृति के तीन गुण सत्, रजस और तमस् क्या हैं?
›
गुण शब्द से हमें किसी एक पदार्थ की प्रतीति न हो कर, उस गुण को धारण करने वाले अनेक पदार्थों की एक साथ प्रतीति होती है। जैसे खारा कह देने से ...
9 टिप्पणियां:
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें