अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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बुधवार, 14 जुलाई 2010
फुटबॉल हैंगोवर और खुश कर देने वाली खबरें।
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क ल फुटबॉल का नशा करने को नहीं मिला। आज तो हेंगोवर का दिन था। रात को जल्दी सो जाना चाहिए था, लेकिन देर तक नींद नहीं आई। मैं आज के अदालत के क...
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मंगलवार, 27 अप्रैल 2010
एक राजनेता की मौत
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म हामहिम के देहांत का समाचार मिलने पर बहुत लोगों को शॉक (झटका) लगा था। वे अभी तीन माह पहले ही तो राज्य की राज्यपाल बनाए गए थे। उस समय किसी न...
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सोमवार, 26 अप्रैल 2010
राजकीय शोक और अचानक अवकाश की प्रसन्नता
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आ ज डायरी में मुकदमे अधिक न थे, लेकिन जितने थे वे सभी समय खपाऊ थे। चार मुकदमों में अंतिम बहस थी और चारों अलग अलग अदालतों में थे। एक मकान माल...
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मंगलवार, 23 मार्च 2010
काम का प्रतिफल मिलने की खुशी
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श निवार को मैं एक थकान भरी व्यवसायिक यात्रा से लौटा था। उस दिन अदालत में कोई काम न था। सिवाय एक मुकदमे में अगली पेशी नोट करने के। जिस अदालत ...
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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009
फिर से आएँगे खुशहाल लमहे
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फिर से आएँगे खुशहाल लमहे दिनेशराय द्विवेदी अब छोड़ो भी बार बार उदास होना जिन्दगी में आया कोई लाल गुलाब की तरह दे गया बहुत ...
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