अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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शुक्रवार, 3 अप्रैल 2009
फिर से आएँगे खुशहाल लमहे
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फिर से आएँगे खुशहाल लमहे दिनेशराय द्विवेदी अब छोड़ो भी बार बार उदास होना जिन्दगी में आया कोई लाल गुलाब की तरह दे गया बहुत ...
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शुक्रवार, 20 मार्च 2009
बदलता मौसम, किसान और मेरी उदासी
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शीतकाल सारी सर्दी हलके गर्म पानी का इस्तेमाल किया स्नान के लिए। होली पर रंगे पुते दोपहर बाद 3 बजे बाथरूम में घुसे तो सोचा पानी गर्म लें ...
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