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रविवार, 23 अक्टूबर 2022

धनतेरस का धन से कोई संबंध नहीं, वह केवल स्वास्थ्य संबंधी त्यौहार है

आज कार्तिक कृष्ण पक्ष की तेरस है। लोग इस को धनतेरस भी कहते हैं। ऐतिहासिक रूप से इसका धन अर्थात भौतिक संपत्ति से कोई संबंध नहीं है। वस्तुतः पौराणिक रूप से इसका महत्व सिर्फ इस कारण है कि समुद्र मंथन के दौरान इस दिन धन्वन्तरि उत्पन्न हुए जिन्हें आयुर्वेद (भारतीय चिकित्सा शास्त्र) का जनक माना जाता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस घोषित किया है।  

आज के दिन का धन अर्थात भौतिक संपत्ति से संबंध पहली बार बाजार ने ही स्थापित किया है। विशेष रूप से सोना चांदी और रत्न व्यापारियों ने। वरना न तो ऐतिहासिक और न ही पौराणिक रूप से इस संबंध के बारे में कहीं कोई सूचना नहीं मिलती है।

हमारी कुछ ज्योतिषीय मान्यताएँ हैं। चैत्रादि जिस मास में सूर्य की संक्रान्ति न पड़े वह अधिक मास होता है। यदि एक ही माह में दो संक्रान्तियाँ हों तो उन्हें पखवाड़े भर के दो माह माना जाता है। उसी तरह एक मान्यता है कि जिस तिथि में सूर्योदय न हो वह तिथि क्षय तिथि है और जिस तिथि में दो सूर्योदय हों वह तिथि बढ़ कर दो हो जाती है। इन्हीं मान्यताओं से एक और मान्यता निकली है कि जिस दिन का सूर्योदय जिस तिथि में हो अगले सूर्योदय के पूर्व तक वही तिथि मानी जाएगी। इस हिसाब से असली धन तेरस आज है। जो आयु बढ़ाने, स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के शास्त्र के प्रति समर्पित है। कल बाजारोत्पन्न नकली धन तेरस थी।

हमारे कई संकट हैं। उनमें एक संकट चंद्र सूर्य ग्रहण भी है। जिस दिन यह हो उस दिन पूजा वगैरा नहीं की जा सकती। अब अमावस तिथि पर सूर्य ग्रहण है इस कारण बाजार को दीवाली मनाने का एक दिन कम पड़ गया। उसने कल द्वादशी को धनतेरस मना डाली आज त्रयोदशी को नरक/ रूप चतुर्दशी मनाएगा और कल चतुर्दशी को तो दीवाली होगी ही। दीवाली ठीक है क्यों कि अमावस की रात तो कल ही होगी। अमावस की समाप्ति सूर्य ग्रहण के मध्य मंगलवार को होगी।

एक बात और कि किसी भी बड़े भारतीय त्यौहार का मूलतः किसी धार्मिक अनुष्ठान से कोई संबंध नहीं है। दीपावली भी एक कृषि त्यौहार है। बरसात का मौसम समाप्त हो चुका होता है। हम घरों में हुई बरसाती क्षतियों को मिटा कर उनकी साफ सफाई करके उन्हें फिर से साल भर के लिए रहने योग्य बनाते हैं। इसी समय बरसात की फसलें मूलतः धान की कटाई आरंभ होती है। यह खेतों में उत्पन्न धान्य को घर लाने के लिए कटाई शुरू करने का त्यौहार है। इसी लिए दीवाली के अगले दिन बैल सजाए जाते हैं। वे इस समारोह के साथ फसल कटाई के लिए निकलते हैं। सभी धर्मों को लोकोत्सवों और तमाम सुन्दर मनभावन स्थानों को कब्जाने का अद्भुत गुण होता है। तो संस्थागत धर्मों के विकास के साथ साथ हर त्यौहार के साथ कुछ न कुछ धार्मिक कर्मकांड जोड़ कर उन्हें धार्मिक संज्ञा दे दी गयी है। इससे वे त्यौहार देश के एक खास धर्म के लोगों के लिए रह गया है। यदि इन त्यौहारों को अपने मूल प्राकृतिक रूप में मनाया जाए तो देश की सारी आबादी को चाहे वह किसी भी धर्म की क्यों न हो इन त्यौहारों के साथ जोड़ा जा सकता है। असल में दीवाली हिन्दू त्यौहार नहीं भारतीय त्यौहार है।

मैंने कल घर से बाहर कदम नहीं रखा। बाजार नहीं गया जिससे कुछ भी खरीद सकूँ। बेटा-बेटी बाजार गए थे। कुछ बाथरूम फिटिंग्स खरीद कर लाए हैं। आज का दिन हम लोग घर में कुछ पकवान्न बनाने में बिताएंगे और दुनिया में सब के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कामना करेंगे।

सभी मित्रों को भी धन्वन्तरि तेरस मुबारक¡ सभी लोग जीवन में स्वस्थ बने रहें।

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