पेज

सोमवार, 24 जून 2013

बहुत भद्द होती है जी देश की


                                       -शिवराम

कैसा चुगद लगता है वह
जब चरित्र की बातें करता है
देशभक्ति का उपदेश देते वक्त तो
एकदम हास्यास्पद हो जाता है
जब धर्म पर बोलता है
तो हँसने लगते हैं लोग

नेताओं को और कुछ आए न आए
अभिनय अवश्य आना चाहिए

पुराने नेता कितने अनुभवी होते थे
कुछ भी बोलते थे
ऐसा लगता था कि
बिलकुल सच बोल रहे हैं
एकदम सत्यमेव जयते

लेकिन आजकल
अनाड़ी और नौसिखिया लोग चले आ रहे हैं
तुरन्त पकड़े जाते हैं
मामला बोलने-चालने का हो
या लेन-देन का

मेरी इच्छा होती है कि
इन से नाटक कराऊँ
रिहर्सल में कुछ तो सीखेंगे

वैसे, सरकारों को चाहिए कि
गौशालाओं की तर्ज पर हर जिले में
रंगशालाएँ खोलें

प्रशिक्षण शिविर लगाएँ
राजनीति में प्रवेश के लिए
अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए
कम से कम थ्री इयर्स डिप्लोमा
इन ऐक्टिंग एण्ड गिविंग एण्ड टेकिंग


बहुत भद्द होती है जी देश की
संसद की और हमारी-आप की।

6 टिप्‍पणियां:

  1. yatarth ke najdik. najadik isaliye kaha kyonki inake avaguno ko shabdo me vyakt kar pana asambhav hai. jabaki kai logo ke shabd kosh me ye shabd hota nahi hai.magar unase nivedan hai ab shamil karle.

    जवाब देंहटाएं
  2. 'वैसे, सरकारों को चाहिए कि
    गौशालाओं की तर्ज पर हर जिले में
    रंगशालाएँ खोलें
    प्रशिक्षण शिविर लगाएँ
    राजनीति में प्रवेश के लिए '
    - यह तो बहुत अच्छा सुझाव है,अमल होना चाहिये!

    जवाब देंहटाएं
  3. सच कहा, अभिनय और मनोरंजन तो अनिवार्य विषय हो गये हैं इस राजनीति की इस विधा के।

    जवाब देंहटाएं

  4. तीन नहीं चार साल का कोर्स दिल्ली विश्वविद्यालय जल्दी ही स्नातक का कोर्स चार साल का करने वाली है , सो यहाँ भी चार साल का सीधे डिग्री कोर्स, कुछ को तो सख्त जरुरत है इसकी ।

    जवाब देंहटाएं

कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....