थार की रेत का रुदन उन के गीतों में सुनाई देता था।
आज राम नवमी के दिन उन का यह गीत स्मरण हो आया ...
ओ! सड़कवासी राम!
- .हरीश भादानी
![](http://1.bp.blogspot.com/-Ou2EuSOm90A/UXEVelpxaAI/AAAAAAAAI5E/Itu7ANvSAjI/s1600/%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B6+%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80.jpg)
न तेरा था कभी
न तेरा है कहीं
रास्तों दर रास्तों पर
पाँव के छापे लगाते ओ अहेरी
खोलकर
मन के किवाड़े सुन
सुन कि सपने की
किसी सम्भावना तक में नहीं
तेरा अयोध्या धाम।
ओ! सड़कवासी राम!
सोच के सिर मोर
ये दसियों दसानन
और लोहे की ये लंकाएँ
कहाँ है कैद तेरी कुम्भजा
खोजता थक
बोलता ही जा भले तू
कौन देखेगा
सुनेगा कौन तुझको
ये चितेरे
आलमारी में रखे दिन
और चिमनी से निकलती शाम।
ओ! सड़कवासी राम!
![](http://1.bp.blogspot.com/-aThWDoztAcA/UXEXOPFyQ2I/AAAAAAAAI5M/wc0X96ukNMQ/s280/%E0%A4%B8%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%80+%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AE.jpg)
क्या गिने चौदह बरस तू
गिन सके तो
कल्प साँसों के गिने जा
गिन कि
कितने काटकर फेंके गए हैं
ऐषणाओं के पहरुए
ये जटायु ही जटायु
और कोई भी नहीं
संकल्प का सौमित्र
अपनी धड़कनों के साथ
देख वामन सी बड़ी यह जिन्दगी
कर ली गई है
इस शहर के जंगलों के नाम।
ओ! सड़कवासी राम!
अत्यंत सुन्दर और भावपूर रचना ,राम नवमी की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंlatest post तुम अनन्त
बहुत ही सुंदर, रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम
हरीश जी के परिचय के लिए आभार भाई जी !
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