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सोमवार, 3 सितंबर 2012

जन्मदिन कब मनाया जाए?

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पृथ्वी (भू) से आकाश (ख) एक गेंद की तरह दिखाई देता है और लगता है कि धरती इस के मध्य बिंदु पर स्थित है।  अब आकाश का अध्ययन करना हो तो खगोल के हिस्से तो करने ही होंगे।   सूर्य हमें नित्य ही पूरब से पश्चिम की ओर यात्रा करता दिखाई देता है।  इस कारण जिस वृत्तीय रेखा पर हो कर वह यात्रा करता है उस रेखा पर हम ने खगोल को बारह भागों में बाँट रखा है।  वृत्त को हम ने 360 अंशों में विभाजित किया है। इस तरह बारह भागों मे बँटे इस खगोल का एक एक भाग 30-30 अंशों का है।  इन में से प्रत्येक भाग को उस भाग में सूर्य यात्रा के वृत्तीय मार्ग के निकट स्थित तारे जो आकृति बनाते हैं उन के नाम दे दिए हैं।  इन नामों को हम राशियों के नाम से जानते हैं।  प्रतिमाह सूर्य एक भाग से दूसरे में प्रवेश करता है, अर्थात एक राशि से दूसरी में जाता हुआ दिखाई देता है।  एक राशि से दूसरी में  सूर्य के इस प्रवेश करने को ही हम संक्रांति तथा एक के बाद एक दो संक्रांतियों के बीच के माह को हम सौर मास कहते हैं।  वर्ष में इस तरह बारह संक्रांतियाँ होती हैं।  एक सौर वर्ष 365.2564 दिनों का होता है। अब वर्ष किसी एक दिन से आरंभ हो कर किसी एक दिन समाप्त हो जाता है इस लिए उसे 365 दिन का मानते हैं। शेष लगभग चौथाई दिन इस गणना में नहीं आता इस कारण  हम हर चौथे वर्ष में एक दिन बढ़ा देते हैं और वह वर्ष 366 दिन का हो जाता है। इस बढ़े हुए दिन वाले वर्ष को हम लीप इयर कहते हैं। 

1968
माह की पहली अवधारणा पूरे चांद से पूरे चांद के या नवचंद्र से नवचंद्र के पहले वाले दिन तक के लिए हुई।  लेकिन चान्द्रमास तो 29.5306 दिन का ही होता है।  इस तरह के 12 माह को जोड़ें तो यह लगभग 354.3672 दिन का वर्ष ही होगा।  इस तरह सौर वर्ष और बारह चांद्र मासों के वर्ष में 10.8892 दिनों का अंतर आ जाता है। जो तीन वर्ष में 32.6676 दिन का हो जाता है। इस तरह हम पाते हैं कि तीन वर्षों में जहाँ संक्रांतियाँ केवल 36 होंगी वहीं चान्द्र मास 37 हो जाएंगे। इस तरह कोई भी एक चांद्र मास ऐसा होगा जिस में कोई संक्रांति नहीं होगी।  इस कारण से यह तय किया गया कि  नवचंद्र से आरंभ होने वाले जिस चांद्र मास में संक्रांति नहीं होगी उसे अधिक मास माना जाए और ऐसे महिने वाले वर्ष को 13 मास का माना जाए।  इस वर्ष भाद्रपद मास की अमावस्या से अगली अमावस्या तक कोई संक्रांति नहीं पड़ रही है इस कारण से यह नवचंद्र मास अधिक मास हुआ और इस वर्ष में दो भाद्रपद मास हुए। अभी यही अधिक मास चल रहा है।

1975
मेरा जन्म विक्रम संवत 2012 सन् 1955 में हुआ।  यह वर्ष भी तेरह मास का था और दो भाद्रपद मास थे।  पहला भाद्रपद बीत जाने के उपरांत दूसरे भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि शनिवार को मेरा जन्म हुआ।  उस जमाने में जन्मदिन अंग्रेजी केलेंडर की तारीख से नहीं मनाया जाता था बल्कि तिथि से मनाया जाता था। भले ही मेरा जन्म अधिक मास में हुआ हो पर वह प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की प्रतिपदा को मनाया जाने लगा।  यह दिन रक्षाबंधन के दूसरे दिन आता था।  बचपन से यही स्मरण रहा कि जन्मदिन रक्षाबंधन के दूसरे दिन आता है।  लेकिन तिथि से वास्तविक जन्मदिन तो तब हो जब भाद्रपद मास में अधिकमास आ रहा हो।  जन्म के वर्ष के अतिरिक्त ऐसा केवल तीन बार हुआ है। 1974 में 1993 में और अब 2012 में भाद्रपद मास में अधिक मास हुए हैं।  इस में आश्चर्य जनक समानता यह है कि इन वर्षों में हर बार 19 वर्ष का अंतराल है। 

1992
स तरह यदि द्वितीय भाद्रपद की प्रतिपदा को जन्मदिन मनाया जाए तो इस वर्ष जन्मदिन शनिवार 1 सितंबर 2012 को ही हो चुका है।  इस दिन भी शनिवार था जैसा कि मेरे जन्मवर्ष संवत् 2012 ईस्वी सन् 1955 में था। जन्म रात्रि के 3.25 बजे हुआ था।  तब तक तारीख बदल कर 3 सितम्बर के स्थान पर 4 सितम्बर हो चुकी थी और प्रतिपदा समाप्त हो कर द्वितिया तिथि आरंभ हो चुकी थी। यदि जन्म समय की तिथि को देखा जाए तो रविवार 2 सितंबर 2012 को द्वितिया तिथि है।  इस तरह रविवार को भी जन्मदिन मनाने का मौका था। जन्म के समय नक्षत्र उत्तराभाद्रपद था। यह नक्षत्र 3 सितंबर 2012 को प्रातः तक है तो इस दिन भी जन्मदिन मनाया जा सकता है और 4 सितंबर 2012 को तो मनाया ही जा सकता है क्यों कि अंग्रेजी केलेंडर के हिसाब से वही मेरा जन्मदिन है।   

2010
फेसबुक और इंटरनेट पर उपलब्ध साधनों ने मित्रों को सितंबर की पहली तारीख से ही मेरे जन्मदिन की सूचना देना आरंभ कर दिया था और उसी दिन से शुभकामनाएँ भी मिलनी आरंभ हो गई हैं।  अब तक अनेक मित्र शुभकामनाएँ दे चुके हैं।  मैं भी चारों दिन शुभकामनाएँ प्राप्त करने के लिए तैयार बैठा हूँ। 

8 टिप्‍पणियां:

  1. वाह! जन्मदिन का विवरण हो तो ऐसा...
    आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ... हमेशा स्वस्थ और सुखी रहें...

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  2. Very interesting! I too extend my birthday wish with a cumulative effect!

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  3. गुरुदेव जी, हमारी तरफ से जन्‍मदिवस पर ढेरों शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई, सदैव आपका जीवन सुखमय रहे.(देरी के लिए क्षमा करें) देरी के कारण से आप भली भांति परिचित है. आपकी इस पोस्ट में हिंदी के फॉण्ट लेकर कोई समस्या है.एक बार इसको जरा देखें. आपकी यह पोस्ट ठीक से पढ़ी ही नहीं जा रही है.
    ईश्वर गुरप्रीत की आत्मा को शांति प्रदान करे

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  4. पृथ्वी (भू) से आकाश (ख) एक गेंद की तरह दिखाई देता है और लगता है कि धरती इस के मध्य बिंदु पर स्थित है। अब आकाश का अध्ययन करना हो तो खगोल के हिस्से तो करने ही होंगे। सूर्य हमें नित्य ही पूरब से पश्चिम की ओर यात्रा करता दिखाई देता है। इस कारण जिस वृत्तीय रेखा पर हो कर वह यात्रा करता है उस रेखा पर हम ने खगोल को बारह भागों में बाँट रखा है। वृत्त को हम ने 360 अंशों में विभाजित किया है। इस तरह बारह भागों मे बँटे इस खगोल का एक एक भाग 30-30 अंशों का है। इन में से प्रत्येक भाग को उस भाग में सूर्य यात्रा के वृत्तीय मार्ग के निकट स्थित तारे जो आकृति बनाते हैं उन के नाम दे दिए हैं। इन नामों को हम राशियों के नाम से जानते हैं। प्रतिमाह सूर्य एक भाग से दूसरे में प्रवेश करता है, अर्थात एक राशि से दूसरी में जाता हुआ दिखाई देता है। एक राशि से दूसरी में सूर्य के इस प्रवेश करने को ही हम संक्रांति तथा एक के बाद एक दो संक्रांतियों के बीच के माह को हम सौर मास कहते हैं। वर्ष में इस तरह बारह संक्रांतियाँ होती हैं। एक सौर वर्ष 365.2564 दिनों का होता है। अब वर्ष किसी एक दिन से आरंभ हो कर किसी एक दिन समाप्त हो जाता है इस लिए उसे 365 दिन का मानते हैं। शेष लगभग चौथाई दिन इस गणना में नहीं आता इस कारण हम हर चौथे वर्ष में एक दिन बढ़ा देते हैं और वह वर्ष 366 दिन का हो जाता है। इस बढ़े हुए दिन वाले वर्ष को हम लीप इयर कहते हैं।
    1968 माह की पहली अवधारणा पूरे चांद से पूरे चांद के या नवचंद्र से नवचंद्र के पहले वाले दिन तक के लिए हुई। लेकिन चान्द्रमास तो 29.5306 दिन का ही होता है। इस तरह के 12 माह को जोड़ें तो यह लगभग 354.3672 दिन का वर्ष ही होगा। इस तरह सौर वर्ष और बारह चांद्र मासों के वर्ष में 10.8892 दिनों का अंतर आ जाता है। जो तीन वर्ष में 32.6676 दिन का हो जाता है। इस तरह हम पाते हैं कि तीन वर्षों में जहाँ संक्रांतियाँ केवल 36 होंगी वहीं चान्द्र मास 37 हो जाएंगे। इस तरह कोई भी एक चांद्र मास ऐसा होगा जिस में कोई संक्रांति नहीं होगी। इस कारण से यह तय किया गया कि नवचंद्र से आरंभ होने वाले जिस चांद्र मास में संक्रांति नहीं होगी उसे अधिक मास माना जाए और ऐसे महिने वाले वर्ष को 13 मास का माना जाए। इस वर्ष भाद्रपद मास की अमावस्या से अगली अमावस्या तक कोई संक्रांति नहीं पड़ रही है इस कारण से यह नवचंद्र मास अधिक मास हुआ और इस वर्ष में दो भाद्रपद मास हुए। अभी यही अधिक मास चल रहा है।
    1975 मेरा जन्म विक्रम संवत 2012 सन् 1955 में हुआ। यह वर्ष भी तेरह मास का था और दो भाद्रपद मास थे। पहला भाद्रपद बीत जाने के उपरांत दूसरे भाद्रपद मास की प्रतिपदा तिथि शनिवार को मेरा जन्म हुआ। उस जमाने में जन्मदिन अंग्रेजी केलेंडर की तारीख से नहीं मनाया जाता था बल्कि तिथि से मनाया जाता था। भले ही मेरा जन्म अधिक मास में हुआ हो पर वह प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की प्रतिपदा को मनाया जाने लगा। यह दिन रक्षाबंधन के दूसरे दिन आता था। बचपन से यही स्मरण रहा कि जन्मदिन रक्षाबंधन के दूसरे दिन आता है। लेकिन तिथि से वास्तविक जन्मदिन तो तब हो जब भाद्रपद मास में अधिकमास आ रहा हो। जन्म के वर्ष के अतिरिक्त ऐसा केवल तीन बार हुआ है। 1974 में 1993 में और अब 2012 में भाद्रपद मास में अधिक मास हुए हैं। इस में आश्चर्य जनक समानता यह है कि इन वर्षों में हर बार 19 वर्ष का अंतराल है। 1992 इस तरह यदि द्वितीय भाद्रपद की प्रतिपदा को जन्मदिन मनाया जाए तो इस वर्ष जन्मदिन शनिवार 1 सितंबर 2012 को ही हो चुका है। इस दिन भी शनिवार था जैसा कि मेरे जन्मवर्ष संवत् 2012 ईस्वी सन् 1955 में था। जन्म रात्रि के 3.25 बजे हुआ था। तब तक तारीख बदल कर 3 सितम्बर के स्थान पर 4 सितम्बर हो चुकी थी और प्रतिपदा समाप्त हो कर द्वितिया तिथि आरंभ हो चुकी थी। यदि जन्म समय की तिथि को देखा जाए तो रविवार 2 सितंबर 2012 को द्वितिया तिथि है। इस तरह रविवार को भी जन्मदिन मनाने का मौका था। जन्म के समय नक्षत्र उत्तराभाद्रपद था। यह नक्षत्र 3 सितंबर 2012 को प्रातः तक है तो इस दिन भी जन्मदिन मनाया जा सकता है और 4 सितंबर 2012 को तो मनाया ही जा सकता है क्यों कि अंग्रेजी केलेंडर के हिसाब से वही मेरा जन्मदिन है। 2010
    फेसबुक और इंटरनेट पर उपलब्ध साधनों ने मित्रों को सितंबर की पहली तारीख से ही मेरे जन्मदिन की सूचना देना आरंभ कर दिया था और उसी दिन से शुभकामनाएँ भी मिलनी आरंभ हो गई हैं। अब तक अनेक मित्र शुभकामनाएँ दे चुके हैं। मैं भी चारों दिन शुभकामनाएँ प्राप्त करने के लिए तैयार बैठा हूँ।

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  5. @रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
    रमेश जी ब्लाग के फोण्ट में कोई समस्या नहीं है। लगता है समस्या आप के ब्राउजर या ऑपरेटिंग सिस्टम में कहीं है। मैं हमेशा इनस्क्रिप्ट की बोर्ड का प्रयोग करता हूँ। उस से किसी प्रकार की कोई फोण्ट या वर्तनी संबंधी त्रुटि की संभावना नहीं रहती है।
    आप अपना ब्राउजर चैक करें वहाँ तो कोई समस्या नहीं है।

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  6. @रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
    आप का सच्चा दोस्त ब्लाग में टिप्पणी करने की जगह कहाँ है? एक टिप्पणी आप स्वयं कर के देखें। यह ब्लाग खोलने पर मेरा सिस्टम उस में कुछ टाइप संबंधी त्रुटि का संदेश भेज रहा है। इस से स्पष्ट है कि आप के सिस्टम या ब्राउजर में कोई दोष है उसे दुरुस्त करने का प्रयत्न करें।
    यहाँ टिप्पणी करने के लिए धन्यवाद।

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  7. बधाई हो जी!बहुत बधाई!

    बाकी कैलेण्डर का चक्कर जटिल है। बेचारा दुर्योधन गच्चा खा गया था पाण्डवों के अज्ञातवास की गणना करने में। अन्यथा पाण्डव १२ साल पुन: वनवास में रहते! :-)

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  8. गुरुदेव जी, मुझे सच्चा दोस्त पर कोई समस्या नहीं दिखी. टिप्पणी बॉक्स भी है. अब आपके उपरोक्त ब्लॉग को पढ़ने में परेशानी नहीं हो रही है. आपने इसका डिजाइन(ले-आउट) भी बदल दिया है.

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कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....