'अमलतास' हिन्दी का एक नया कविता ब्लाग है। जिस में आप को हर सप्ताह मिलेंगी हिन्दी के ख्यात गीतकार कवि 'कुमार शिव' के गीत, कविताएँ और ग़ज़लें।
पिछली शताब्दी के आठवें दशक में हिन्दी के गीतकार-कवियों के बीच 'कुमार शिव' का नाम उभरा और तेजी से लोकप्रिय होता चला गया। एक
लंबा, भारी बदन, गौरवर्ण नौजवान कविसम्मेलन के मंच पर उभरता और बिना किसी
भूमिका के सस्वर अपना गीत पढ़ने
लगता। गीत समाप्त होने पर वह जैसे ही वापस जाने लगता श्रोताओं के बीच से
आवाज उठती 'एक और ... एक और'। अगले और उस से अगले गीत के बाद भी श्रोता यही
आवाज लगाते। संचालक को आश्वासन देना पड़ता कि वे अगले दौर में जी भर कर
सुनाएंगे।
ये 'कुमार शिव' थे। उन का जन्म 11 अक्टूबर 1946 को कोटा में हुआ। राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में चम्बल के किनारे बसे इस नगर में ही उन की शिक्षा हुई और वहीं उन्हों ने वकालत का आरंभ किया। उन्हों ने राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बैंच और सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की। अप्रेल 1996 से अक्टूबर 2008 तक राजस्थान उच्चन्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए 50,000 से अधिक निर्णय किए, जिन में 10 हजार से अधिक निर्णय हिन्दी में हैं। वर्तमान में वे भारत के विधि आयोग के सदस्य हैं। साहित्य सृजन किशोरवय से ही उन के जीवन का एक हिस्सा रहा है।
ये 'कुमार शिव' थे। उन का जन्म 11 अक्टूबर 1946 को कोटा में हुआ। राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में चम्बल के किनारे बसे इस नगर में ही उन की शिक्षा हुई और वहीं उन्हों ने वकालत का आरंभ किया। उन्हों ने राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बैंच और सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की। अप्रेल 1996 से अक्टूबर 2008 तक राजस्थान उच्चन्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हुए 50,000 से अधिक निर्णय किए, जिन में 10 हजार से अधिक निर्णय हिन्दी में हैं। वर्तमान में वे भारत के विधि आयोग के सदस्य हैं। साहित्य सृजन किशोरवय से ही उन के जीवन का एक हिस्सा रहा है।
1995 से वे कवि
कविसम्मेलनों के मंचों से गायब हुए तो आज तक वापस नहीं लौटे। तब वह उच्च
न्यायालय में मुकदमों के निर्णय करने में व्यस्त थे। उन का लेखनकर्म लगातार जारी रहा।
केवल कुछ पत्र पत्रिकाओं में उन के गीत कविताएँ प्रकाशित होती रहीं।
एक न्यायाधीश की समाज के सामने खुलने की सीमाएँ उन्हें बांधती रहीं। 'अमलतास' अब 'कुमार शिव' की रचनात्मकता को पाठकों के रूबरू ले कर आया है।
कुमार शिव का सब से लोकप्रिय गीत 'अमलतास' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। ब्लाग पर यह गीत पहली पोस्ट के रूप में उपलब्ध है। मिसफिट पर अर्चना चावजी के स्वर में इस गीत का पॉडकास्ट यहाँ उपलब्ध है। ने इस गीताआप इस मीठे गीत को पढ़ेंगे, सुनेंगे और खुद गुनगुनाएंगे तो आप के लिए यह समझना कठिन नहीं होगा कि इस ब्लाग को 'अमलतास' नाम क्यों मिला।
कुमार शिव का सब से लोकप्रिय गीत 'अमलतास' के नाम से प्रसिद्ध हुआ था। ब्लाग पर यह गीत पहली पोस्ट के रूप में उपलब्ध है। मिसफिट पर अर्चना चावजी के स्वर में इस गीत का पॉडकास्ट यहाँ उपलब्ध है। ने इस गीताआप इस मीठे गीत को पढ़ेंगे, सुनेंगे और खुद गुनगुनाएंगे तो आप के लिए यह समझना कठिन नहीं होगा कि इस ब्लाग को 'अमलतास' नाम क्यों मिला।
अति सुन्दर लेख
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी,परिचय के साथ,बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबढ़िया जानकारी ..
जवाब देंहटाएंअमलतास के फूल अच्छे लगते हैं पीले पीले। इसीलिए शायर लोग उसकी ख़ूबसूरती के कारण फूलदार पेड़-पौधों पर अपने ब्लॉग आदि का नाम रख लेते हैं लेकिन इसके आयुर्वेदिक गुण भी हम जैसों को आकर्षित करते हैं। इसकी फली और इसके फूल दोनों ही रेचक होते हैं और मल का निष्कासन सरलता से होता है लेकिन जायक़ा अच्छा नहीं होता है। अलबत्ता इसके फूलों का गुलकंद बना लिया जाए तो वह ज़ायक़ेदार रहता है।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट अच्छी है।
हिंदी ब्लॉगर्स को ‘अमन का पैग़ाम‘ दे रहे हैं जनाब एस. एम. मासूम साहब
कविता बाद में। पहले 50000 में से 10000 फैसले हिन्दी में, यह बात अच्छी लगी और हर दिन 15-20 फैसले यह भी।
जवाब देंहटाएंशिव जी समर्थ रचनाकार हैं1 उनसे परिचय कराने का शुक्रिया।
जवाब देंहटाएं------
TOP HINDI BLOGS !
अच्छी सूचना है। अपने विद्यार्थी काल में कुमारजी का नाम खूब सुना किन्तु उन्हें सुनने का सुख-सौभाग्य नहीं मिल पाया। 'अमलतास' उस टीस को दूर करेगा। यह सूचना हम तक पहुँचाने के लिए आपको धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंफीड में डाल लिया है, अमलतास का रंग बड़ा चटख होता है।
जवाब देंहटाएंकुमार शिव जी के अमलतास ब्लाग के बारे में आपने बढ़िया जानकारी दी है उनका हिंदी ब्लागजगत में हार्दिक स्वागत है . ...आभार
जवाब देंहटाएंकुमार शिव जी के अमलतास से हिंदी ब्लॉगजगत स्वयं को समृद्ध और सम्मानित महसूस करेगा...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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तो..... एक और कवि ब्लागजगत से जुड़ेगा। स्वागतम, सुस्वागतम॥
जवाब देंहटाएंगुरुवर जी, हम ब्लॉग "अमलतास" पर उसकी पहली पोस्ट से उसको पढते आ रहे हैं.वैसे आज ही इसको सुनकर बहुत अच्छा लगा. लेकिन तकनीकी जानकारी के अभाव में ही मै उपरोक्त ब्लॉग का अनुसरणकर्त्ता नहीं बन पा रहा हूँ.आप ने भी मेरी मदद करने का प्रयास किया था. लेकिन मुझसे नहीं हो रहा है. जो यहाँ समस्या है. वो अनेक व्यक्तियों के ब्लोगों पर भी है.
जवाब देंहटाएंमैंने आपके कहने पर दुबारा प्रयास किया मगर फिर भी सफलता नहीं मिली. जैसे आपके और बाकी सभी के ब्लॉग पर ऊपर एक लाइन में अनुसरण करें, साझा करें आदि लिखा आता है, वैसा यहाँ क्यों नहीं लिखा आ रहा है. वहाँ पर अनुसरण करें को किल्क करते ही अनुसरणकर्ता बन जाते हैं. मुझे तकनीकी जानकारी न होने के कारण बहुत से ब्लोगों का अनुसरणकर्ता नहीं बन पा रहा हूँ.