भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन लोकपाल बिल अब सपना नहीं रहा है। सरकार को अण्णा हजारे के अनशन को लगातार मिल रहे और बढ़ रहे जन समर्थन के सामने झुकना पड़ा है। अण्णा हजारे द्वारा जन लोकपाल बिल को कानून की शक्ल देने के लिए जरूरी सभी मांगों को केन्द्र सरकार ने स्वीकार कर लिया। सुबह दस बजे के पहले तक इस पर सरकार का आदेश जारी होने की संभावना है। अण्णा ने सुबह साढ़े दस बजे अपना अनशन समाप्त करने की घोषणा कर दी है। जन्तर-मन्तर नई दिल्ली पर हजारों की संख्या में लोग जुटे हैं और जनता की इस जीत का जश्न मनाने में लगे हैं। असली जश्न तो सुबह सारा देश मनाएगा तब जब कि अन्ना अपना अनशन समाप्त करेंगे।अनशन समाप्त करने की घोषणा करने के पहले अण्णा हजारे ने स्पष्ट कर दिया था कि यह लड़ाई यहाँ समाप्त नहीं हुई है। यह देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने और देश की जनता की समस्याओं की समाप्ति तक जारी रहेगी। जितने लोग इस आंदोलन में साथ थे उन का नजरिया स्पष्ट था कि संघर्ष जारी रहेगा।
सारा देश भ्रष्टाचार से त्रस्त था। उसे मार्ग ही नहीं मिल रहा था। मार्ग निकला जन-लोकपाल-बिल के प्रस्ताव और उस पर संघर्ष से। जैसे ही अण्णा हजारे ने अपना अनशन आरंभ किया देश भर में लोग एकजुट होना आरंभ हो गए। हर किसी ने अपनी भूमिका अदा करना आरंभ कर दिया। जिस तेजी से लोग जन्तर-मन्तर की ओर दौड़ने लगे उसी तेजी से देश भर में भी इस आंदोलन के समर्थन में लोगों की बैठकें होने लगीं, देश को जोड़ने का अभियान सा देश भर में आरंभ हो गया। इस आंदोलन का समय भी बहुत सटीक था। एक और देश ने एक दिवसीय क्रिकेट विश्वकप जीता ही था, जिस से देश भर की भावनाएँ एक जुट थीं। दूसरी ओर सरकार और राजनेताओं के सामने कुछ राज्यों के चुनाव सामने खड़े थे। ऐसी परिस्थितियों में कोई भी सरकार या राजनैतिक दल किसी भी तरह जनता को नाराज नहीं करना चाहता था। चुनाव पूर्व का समय ही ऐसा होता है जब राजनैतिक दल और उन के नेता सब से कमजोर स्थिति में होते हैं। इन सब परिस्थितियों का लाभ भी इस आन्दोलन को प्राप्त हुआ। लेकिन सारी परिस्थितियाँ अनुकूल होते हुए भी सब कुछ ठीक नहीं होता। उस समय एक धक्का पर्याप्त होता है तंत्र को मनचाही दिशा में ले जाने के लिए वही यहाँ हुआ। अण्णा के अनशन और देशवासियों के व्यापक जन समर्थन ने उसे दिशा दे दी जिस से देश की जनता को यह उपलब्धि हासिल हुई। हमें इस से यह सबक लेना चाहिए कि परिस्थितियाँ बने तो उन का लाभ व्यापक जनता के हित में किए जाने के लिए जनता को संगठित और तैयार रहने की आवश्यकता है।
इस आन्दोलन में उन सैंकड़ों-हजारों जन संगठनों की भूमिका के महत्व से नकारा नहीं जा सकता जिन्हों ने रातों-रात इस आंदोलन का समर्थन किया और इस के लिए जन-समर्थन जुटाने के लिए रात-दिन एक किया। ये वे ही संगठन थे जो कि छोटे-छोटे स्तरों पर वर्षों से सक्रिय थे। इस से जो सबक हम सीख सकते हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है। जनता को हर स्तर पर संगठित रहना चाहिए। किसी भी जीत का लाभ भी जनता को तभी मिल सकता है जब कि वह संगठित रहे। एक अकेला व्यक्ति टूट जाता है। लेकिन जब लोग सामुहिक हितों के लिए इकट्ठा हो जाते हैं तो व्यक्ति-व्यक्ति में आत्मविश्वास का पौधा अंकुराने लगता है। हम लोकपाल कानून अस्तित्व में आ जाने के बाद भी भ्रष्टाचार को समाप्त करने की मुहिम लगातार चलानी पड़ेगी और वह तभी संभव है जब जनता संगठन में रहे। हमें अपने आस-पास के जन संगठनों को मजबूत करना चाहिए और जहाँ संगठन नहीं हैं वहाँ संगठनों का निर्माण करना चाहिए। इन संगठनों को चुनावी राजनीति और चुनावी राजनेताओं से दूर रखना चाहिए।
देश की सारी जनता को इस जीत पर अशेष बधाइयाँ।
हम सभी को संकल्प करना चाहिए कि हम अपने निजि जीवन में भ्रष्टाचार को न अपनाएँ, जहाँ भी वह नजर आए उसे नष्ट करने के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक संघर्ष चलाएँ। एकता और संघर्ष-संघर्ष और एकता ही सफलता की कुंजी है।
क्या सरकार की मंशा वाकई साफ़ है...क्या वो सभी भ्रष्ट मंत्रियों, नेताओं, अफसरों को सही में सज़ा दिलाना चाहती है...या फिर उसने अभी जंतर-मंतर के ज़रिए देश भर की जनता में आ रहे उबाल को डिफ्यूज़ करने के लिए कोई चाल चली है...
जवाब देंहटाएंअन्ना जी आपको हर कदम पर चौकस रहना होगा...आपके साथ देश की जनता है, इसलिए कहीं दबने की ज़रूरत नहीं...
जय हिंद...
असली जीत तो अभी बाकि है |
जवाब देंहटाएंजबतक सारे भ्रस्ट लोग हवालात में न चले जाएँ तबतक ये मुहीम जारी रहनी चाहिए |
आगे आगे देखिये होता है क्या ?
यहाँ भी आयें|
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अभी सिर्फ शंखनाद हुआ है, जंग तो अब शुरु होनी है.
जवाब देंहटाएंशुरुआत तो अच्छी है, अंजाम भी अच्छा ही होगा..
जवाब देंहटाएंसफाई बड़ी लम्बी व अनवरत प्रक्रिया है।
जवाब देंहटाएंअभी तो ये अंगड़ाई है....आगे और लडाई है....
जवाब देंहटाएंहां सर ,
जवाब देंहटाएंबेशक इस लडाई और इस जीत के मायने आज के हालातों में बहुत ही महत्वपूर्ण है और जनता असली काम तो अब शुरू होना है । सूचना का अधिकार , जन लोकपाल विधेयक के तहत बनने वाला कानून , सरकारी नीतियों में पारदर्शिता आदि के उपयोग से जनता को इस लडाई को अब इतना आगे ले जाना होगा कि एक दिन भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण हो सके । बेशक ये मुश्किल दिखे लेकिन है नहीं एक बार शुरूआत हो गई तरीके से तो फ़िर संसद तक पहुंचे चुके चोरों को कारागार तक घसीटकर ले जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा । और अब जनता को इसके लिए खुद को तैयार करना होगा खुद भी तैयार रहना होगा
बहती गंगा में हाथ धोने पापी भी पहुंचे -
जवाब देंहटाएंताकि इमानदारी का सार्टिफिकेट ले लें -
अन्ना को सावधान होना होगा !
भ्रष्टाचार पर प्रभावकारी दबाव बन पाया है , अब रोज नए बन रहे करोड़पतियों पर अंकुश लगेगा, उम्मीद है जनता का पैसा जनता तक पंहुच पायेगा ! अन्ना ने देश को एक नया रास्ता दिखाया है ! बधाई !
जवाब देंहटाएंशुरुआत है यह ,कहीं आगे उदारता के चक्कर में ढील न दे दी जाए !इस कठिन काम में निरंतर सावधानी की ज़रूरत है .
जवाब देंहटाएंआगे की लड़ाई लम्बी है और हमें सतर्क रहना है, लडाई जीत ली गई अभी युद्ध जीतना बाकी है॥
जवाब देंहटाएंमुझे लगता है कि भ्रष्टाचार हमारे रग रग में शामिल हो चुका है। फाइल बढ़वानी हो, या बाइक का चालान कट रहा हो, तो उसे बचाने के लिए, या ट्रेन में सीट नहीं मिल रही हो, तो हमारा ही यह आचरण दुराचरण में बदल जाता है।
जवाब देंहटाएंअन्ना हज़ारे ने तो बड़ी मुहिम शुरू की है, लेकिन लगता है कि हम ही इस मुहिम के काबिल नहीं है।
बात मेरी थी,
जवाब देंहटाएंतुमने कही।
अच्छा लगा।
और
अपने मन से जानियो,
मेरे मन की बात।
अभी तो बिगुल बजा है युद्ध तो बाकी है
जवाब देंहटाएंआपके लेख में व्यक्त विचारों से पूरी तरह से सहमत हूँ.
जवाब देंहटाएंबजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.