आज यहाँ अंबिकादत्त की एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह कविता कविता के बारे में है। लेकिन जो कुछ कविता के बारे में इस कविता में कहा गया है। उसे संपूर्ण लेखन और संपूर्ण ब्लागरी के बारे में समझा जाना चाहिए। क्या ब्लागरी को भी ऐसी ही नहीं होना चाहिए, जैसी इस कविता में कविता से अपेक्षा की गई है?
'कविता'
अभी कविता
- अंबिकादत्त
अभी तो लिखी गई है कविता
उन के लिए
जिन के औजार छीन लिए गए
अभी बाकी है कविता !
उन के लिए लिखी जानी
जिन के हाथ नहीं हैं
जीभ का इस्तेमाल जो सिर्फ पेट के लिए करते हैं
अभी बाकी है कविता का उन तक पहुँचना
सपने जिन के राख में दबे हैं
उन के लिए बाकी है अभी कविता
जो कविता लिख रहे हैं
जो कविताएँ बाकी हैं
उन्हें कौन लिखेगा
किस के जिम्मे है उन का लिखा जाना
और हम जो लिख रहे हैं कविता
वो किस के लिए है?
विचारणीय कविता है सभी कवियों के लिए...
जवाब देंहटाएंप्रश्न बड़ा गंभीर है..
जवाब देंहटाएंकविता हो या ब्लॉगरी, जिम्मेदारियों की परिभाषाएं अपनी-अपनी.
जवाब देंहटाएंसही है मगर यहाँ तो ब्लागरी सिर्फ ब्लागरों तक ही सिमट कर रह गयी है !
जवाब देंहटाएंbhtrin prstuti ke liyen bdhayai. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंकविता का विषय क्या हो, प्रश्न गूढ़ है।
जवाब देंहटाएंउन के लिए बाकी है अभी कविता
जवाब देंहटाएंविचारणीय कविता
सुन्दर प्रस्तुति.
सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंनिशब्द कर दिया अंबिका जी ने। शानदार प्रस्तुति। आभार।
जवाब देंहटाएंअभी बाकी है कविता !
जवाब देंहटाएंउन के लिए लिखी जानी
जिन के हाथ नहीं हैं
जीभ का इस्तेमाल जो सिर्फ पेट के लिए करते हैं
Bahut achchee baat kahee kavi ne .
और हम जो लिख रहे हैं कविता
जवाब देंहटाएंवो किस के लिए है?....
लाजवाब...
यही तो विडंबना है कि जिनके लिए कविता लिखी जाती है उन तक पहुंच ही नहीं पाती। वे तो सिर्फ बिंब बनकर रह जाते हैं।
जवाब देंहटाएंकविता का विषय क्या हो सही प्रश्न किया आपने,
जवाब देंहटाएं@और हम जो लिख रहे हैं कविता
जवाब देंहटाएंवो किस के लिए है?..
वाह,विचारणीय,
सुन्दर प्रस्तुति.
स्वांत: सुखाय। बाकी किसी के लिये लिखी तो वह खुशफहमी भर है।
जवाब देंहटाएं@ ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey
जवाब देंहटाएंहम सब का(आप भी शामिल हैं)लिखा, सब कुछ हमारी अपनी खुशफहमियाँ ही तो हैं।
लाजवाब...
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