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सोमवार, 28 फ़रवरी 2011

अभी ... कविता

ज यहाँ अंबिकादत्त की एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह कविता कविता के बारे में है। लेकिन जो कुछ कविता के बारे में इस कविता में कहा गया है। उसे संपूर्ण लेखन और संपूर्ण ब्लागरी के बारे में समझा जाना चाहिए। क्या ब्लागरी को भी ऐसी ही नहीं होना चाहिए, जैसी इस कविता में कविता से अपेक्षा की गई है? 




'कविता'
अभी कविता
  • अंबिकादत्त
अभी तो लिखी  गई है कविता
उन के लिए 
जिन के औजार छीन लिए गए

अभी बाकी है कविता !
उन के लिए लिखी जानी 
जिन के हाथ नहीं हैं
जीभ का इस्तेमाल जो सिर्फ पेट के लिए करते हैं

अभी बाकी है कविता का उन तक पहुँचना 
सपने जिन के राख में दबे हैं

उन के लिए बाकी है अभी कविता
जो कविता लिख रहे हैं
जो कविताएँ बाकी हैं
उन्हें कौन लिखेगा
किस के जिम्मे है उन का लिखा जाना

और हम जो लिख रहे हैं कविता
वो किस के लिए है?





17 टिप्‍पणियां:

  1. विचारणीय कविता है सभी कवियों के लिए...

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  2. कविता हो या ब्‍लॉगरी, जिम्‍मेदारियों की परिभाषाएं अपनी-अपनी.

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  3. सही है मगर यहाँ तो ब्लागरी सिर्फ ब्लागरों तक ही सिमट कर रह गयी है !

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  4. कविता का विषय क्या हो, प्रश्न गूढ़ है।

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  5. उन के लिए बाकी है अभी कविता
    विचारणीय कविता
    सुन्दर प्रस्तुति.

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  6. निशब्द कर दिया अंबिका जी ने। शानदार प्रस्तुति। आभार।

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  7. अभी बाकी है कविता !
    उन के लिए लिखी जानी
    जिन के हाथ नहीं हैं
    जीभ का इस्तेमाल जो सिर्फ पेट के लिए करते हैं


    Bahut achchee baat kahee kavi ne .

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  8. और हम जो लिख रहे हैं कविता
    वो किस के लिए है?....

    लाजवाब...

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  9. यही तो विडंबना है कि जिनके लिए कविता लिखी जाती है उन तक पहुंच ही नहीं पाती। वे तो सिर्फ बिंब बनकर रह जाते हैं।

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  10. कविता का विषय क्या हो सही प्रश्न किया आपने,

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  11. @और हम जो लिख रहे हैं कविता
    वो किस के लिए है?..
    वाह,विचारणीय,
    सुन्दर प्रस्तुति.

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  12. स्वांत: सुखाय। बाकी किसी के लिये लिखी तो वह खुशफहमी भर है।

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  13. @ ज्ञानदत्त पाण्डेय Gyandutt Pandey
    हम सब का(आप भी शामिल हैं)लिखा, सब कुछ हमारी अपनी खुशफहमियाँ ही तो हैं।

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