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रविवार, 13 फ़रवरी 2011

घूम कर जाना है

ज का दिन शमशेर के नाम रहा। राजस्थान साहित्य अकादमी और विकल्प जन-सांस्कृतिक मंच कोटा द्वारा शमशेर बहादुर सिंह की जन्मशताब्दी पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आज यहाँ आरंभ हुई। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि वरिष्ठ गीतकार, राजस्थान उच्चन्यायालय के पूर्व न्यायाधीश व राष्ट्रीय विधि आयोग के सदस्य शिवकुमार शर्मा  (कुमार शिव) थे। किन्तु अचानक हुई अस्वस्थता ने उन्हें दिल्ली से रवाना होने के बाद भी मार्ग में जयपुर ने ही रोक लिया। उन के अभाव में वरिष्ठ  नन्द भारद्वाज को यह भूमिका निभानी पड़ी, सत्र की अध्यक्षता अलाव के संपादक रामकुमार कृषक ने की। उद्घाटन सत्र के बाद 'हिन्दी ग़ज़ल में शमशेरियत' विषय पर एक संगोष्ठी सम्पन्न हुई जो शाम साढ़े छह तक चलती रही। फिर रात को साढ़े आठ बजे एक काव्य गोष्ठी आरंभ हुई जो रात ग्यारह बजे तक चलती रही। काव्य गोष्ठी शायद देर रात तक चलती रहती, यदि कोटा के बाहर से आए अतिथियों को भोजन न कराना होता।  
सुबह अतिथियों का स्वागत करने से ले कर रात तक आयोजन सहयोगी के रूप में शिरकत करने के कारण हुई थकान गोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करने में बाधा बन रही है। इस बीच दो पंक्तियाँ रची गईं वे ही यहाँ रख रहा हूँ -

यूँ तो ठीक सामने ही है घर मेरा, सड़क के उस पार 
बीच  में  डिवाइडर है, चौराहे  से  घूम  कर जाना है


8 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. ऊपर वाली टिपण्णी मेने गलती समझ कर हटा दी थी, माफ़ी चाहूंगा.
    आप ने कवि सम्मेलन का विवरण बहुत सुंदर रुप से किया, धन्यवाद, शिवकुमार शर्मा (कुमार शिव) जी को हमारी शुभकामनाऎं जल्द ठीक हो जाये, आप को भी काफ़ी थकावट हो गई होगी, आप ने भी काफ़ी भागदोड की आज,

    यूँ तो ठीक सामने ही है घर मेरा,सड़क के उस पार
    बीच में डिवाइडर है, चौराहे से घूम कर जाना है
    सुंदर विवरण ओर सुंदर ओर लाजबाव शेर के लिये आप का धन्यवाद

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  3. यूँ तो ठीक सामने ही है घर मेरा, सड़क के उस पार
    बीच में डिवाइडर है, चौराहे से घूम कर जाना है

    -क्या गज़ब ढा रहे हैं, दिनेश जी...वाह!

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  4. हमारे जीवन में तो डिवाइडरों की श्रंखलायें हैं। बहुत दमदार।

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  5. आपकी पंक्तियां देख कर तो लगा कि

    यदि ये डिवाईडर और, चौराहे के बीच का फ़साना है
    तो हमें खुशी है कि ,फ़ांद के नहीं आपको घूम के जाना है

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  6. क्या अंदाज़ है...
    थकान उतारिये जी...और रपट पेश कीजिए जी...

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कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?
कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस?
जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....