नाटककार, रंगकर्मी, कवि, आलोचक, साहित्यकार, ट्रेडयूनियन कार्यकर्ता, शीर्ष राजनैतिक नेता शिवराम के व्यक्तित्व के अनेक आयाम थे। लेकिन उन के सभी कामों का एक ही उद्देश्य था। जनता को सचेतन करना, शिक्षित करना और संगठित होने के लिए प्रेरित करना और संगठित होने में उन की मदद करना। उन की राय में श्रमजीवी जनता की मुक्ति का यही एक मार्ग था। उन के इस बहुआयामी व्यक्तित्व में रंगकर्म सब से पहले आता था। इसी से उन्हों ने अपने उद्देश्य को प्राप्त करने का सफर आरंभ किया था और अंतिम दिनों तक वे इस से जुड़े रहे। पिछली पहली अक्तूबर को उन्हों ने हम से सदा सर्वदा के लिए विदा ली है। तीन माह भी नहीं गुजरे हैं कि 23 दिसंबर 2010 को उन का बासठवाँ जन्मदिन आ रहा है।
शिवराम अभिव्यक्ति नाट्य एवं कला मंच (अनाम) कोटा के जन्मदाता थे। इस 23 दिसंबर को अनाम अपने जन्मदाता की अनुपस्थिति में उन्हें एक सृजनात्मक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए पहली बार उन का जन्मदिन मनाएगा। इस दिन साँयकाल 6.30 बजे एलबर्ट आइंस्टाइन सीनयर सैकण्डरी विद्यालय, वसंत विहार, कोटा के रंगमंच पर, जहाँ शिवराम की उपस्थिति और उन के निर्देशन में अनाम ने पहले भी अनेक नाटकों का मंचन किया है, अनाम शिवराम के सब से उल्लेखनीय और शायद सब से अधिक मंचित नाटक 'जनता पागल हो गई है' और 'घुसपैठिए' का मंचन करने जा रहा है। इस अवसर पर शिवराम की एक शिष्या ऋचा शर्मा उन की कविताओं का सस्वर पाठ करेंगी और उन के पुत्र रविकुमार अपने कविता पोस्टरों की प्रदर्शनी सजाएंगे। इस अवसर पर नगर के वयोवृद्ध पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी मुख्य अतिथि होंगे तथा गुरूकुल इंजिनियरिंग कॉलेज कोटा के प्राचार्य डॉ. आर.सी. मिश्रा विशिष्ट अतिथि होंगे। शिवराम के रंगकर्म और उन के अन्य कार्यों के सहयोगी विकल्प जन सांस्कृतिक मंच कोटा, श्रमजीवी विचार मंच कोटा तथा एलबर्ट आइंस्टाइन सी.सै. विद्यालय, कोटा इस आयोजन में अनाम का सहयोग कर रहे हैं।
इस आयोजन का निमंत्रण यहाँ प्रस्तुत है। आप सभी से अनुरोध है कि जो भी इस कार्यक्रम में सम्मिलित हो सकता है वह इस अवसर पर अवश्य उपस्थित हों।
दिनेश जी आप के पास यह सब दोस्त अनमोल हीरे हे, ओर शिव राम जी भी एक अनमोल हीरे थे, इन के बारे समय समय पर आप लेखो मे लिखते रहते थे, ओर यह हीरा असमय ही हम सब से खो गया, मेरी तरफ़ से फ़िर से शिवराम को श्रद्धांजलि. आप का धन्यवाद,
जवाब देंहटाएंशिवराम जी को भावभीनी श्रद्धांजलि..
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही भावों का प्रबल प्रवाह होगा वहाँ पर।
जवाब देंहटाएंआपने पिछली बार जब बताया था तो बेहद अफसोस हुआ था, अब यूं ही जीवित रहेंगे...
जवाब देंहटाएंaadrniy dvivedi ji shivraam ji ke liyen aaj unki puny tithi pr bhut kuch likh diya . akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंशिवरामजी को याद करनेवाले इस प्रसंग में हमें भी शरीक ही मानिएगा।
जवाब देंहटाएंअपने मन से जानिए, मेरे मन की बात।
आयोजन की असंदिग्ध सफलता की बधाइयॉं अभी से ही।
हमें भी साथ जानिये !
जवाब देंहटाएंआयोजन के निमंत्रण में कविता कि उत्तर इधर है बहुत प्रेरक लगी।
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