क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
सही कहा जी राम राम
द्विवेदी जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने।---------मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
नौ वर्ष क्यों ?
`खुलने लगें जब राज' बजने लगे सब साज़ :)
किसकी तरफ है इशाराकिस के ऊपर ये तीर है मारा..
सही वचन ....लगता है कहीं किसी से चोट खायी है ..
मैं उलझन में पड गया हूँ। मुझे अच्छी तरह याद आ रहा है कि कल ही मैंने आपकी इस कविता पर टिप्पणी की थी किन्तु यहॉं टिप्पणियों में वह कहीं नजर नहीं आ रही।
गहराई लिये पंक्तियाँ।
सच्चाई !
कुछ गहरा राज़ है इस कविता मे। शुभकामनायें।
वाह द्विवेदी जी आपके भीतर का कवि जागने लगा है ..
कैसा लगा आलेख? अच्छा या बुरा? मन को प्रफुल्लता मिली या आया क्रोध?कुछ नया मिला या वही पुराना घिसा पिटा राग? कुछ तो किया होगा महसूस? जो भी हो, जरा यहाँ टिपिया दीजिए.....
सही कहा जी
जवाब देंहटाएंराम राम
द्विवेदी जी, बहुत गहरी बात कह दी आपने।
जवाब देंहटाएं---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
नौ वर्ष क्यों ?
जवाब देंहटाएं`खुलने लगें जब राज'
जवाब देंहटाएंबजने लगे सब साज़ :)
किसकी तरफ है इशारा
जवाब देंहटाएंकिस के ऊपर ये तीर है मारा..
सही वचन ....लगता है कहीं किसी से चोट खायी है ..
जवाब देंहटाएंमैं उलझन में पड गया हूँ।
जवाब देंहटाएंमुझे अच्छी तरह याद आ रहा है कि कल ही मैंने आपकी इस कविता पर टिप्पणी की थी किन्तु यहॉं टिप्पणियों में वह कहीं नजर नहीं आ रही।
गहराई लिये पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसच्चाई !
जवाब देंहटाएंकुछ गहरा राज़ है इस कविता मे। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंवाह द्विवेदी जी आपके भीतर का कवि जागने लगा है ..
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