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शनिवार, 3 अप्रैल 2010

निवेदन या आदेश ?

कोटा के जिला कोषाधिकारी कार्यालय के ठीक बाहर यह बोर्ड लगा है। मुझे समझ नहीं आया कि यह निवेदन है या आदेश।

आप बताएँगे?



22 टिप्‍पणियां:

  1. यह नोटिस पढ़ कर सच में ही यह पता नहीं चल रहा कि यह आदेश है कि निवेदन .....

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  2. यह है तो एक धमकी या आदेश लेकिन मुन्ना भाई के स्टाईल मै जी, यानि गांधी गीरी, नही मानो तो दादा गीरी

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  3. ओह ये तो शिष्ट्ता की पराकाष्ठा है सर ...जुर्माना भी जरूर ....जी ...और कृपया लगाकर ही किया जाने वाला होगा ..लगता है कृपया वाले ने पैसे एडवांस नहीं दिए होंगे तो ...पट्ठे ने कोषाधिकारी का और्डर उसी पर निपटा दिया होगा ...ये कह के एक शब्द.... कृपया ...मेरी तरफ़ से मुफ़्त है ...
    अजय कुमार झा

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  4. यह हिन्दी प्रदेशों में हिन्दी की दुर्दशा को दिखाता है और कुछ नहीं।

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  5. अजय जी को यह मानना भी अखर रहा है कि लिखने का आदेश देने वाला ग़लत लिख रहा है। इस अण्ड-बण्ड आदेश का एक इलाज हो सकता है आदेश के विशेषण के पूर्वार्ध को उनके पदनाम के उपसर्ग के रूप में लगा दिया जाए।

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  6. कृपया मै भी अपने घर के आगे कार या मोटर साइकिल खदी करने बालो से परेशान हू कृपया आइन्दा ऐसा ना करे नही तो मै परेशान होकर खडी गाडी की हवा कृपया निकाल दुन्गा.

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  7. इस आदेश में "कृपया" शब्द एक पे एक फ़्री वाली स्कीम का है.:)

    रामराम.

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  8. हा हा हा ! हिंदी की ऐसी की तैसी कर दी ।

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  9. क्या खूब अंदाज़ में आदेश निवेदित किया गया है...
    मज़ा आया...

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  10. हिन्दी के गलत इस्तेमाल का नतीजा हो या अन्य कारण लेकिन यह वास्तव में वर्तमान परिदृश्य को इंगित करता है। जहाँ जन-सेवक अपने आपको जनता के स्वामी मानने लगे है।

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  11. हिन्दी भाषा या भाषी - दोष किसका ?

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  12. वाक्य अधूरा है वर्ना आपको जबाब ढूंढना नहीं पड़ता !

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  13. द्विवेदी जी, इसी तरह कुछ बोर्ड में ऐसा लिखा रहता है:-

    "कृपया खुल्ले पैसे दे"

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  14. निवेदन के साथ मुफ्त में आदेश दिया गया है

    मतलब - एक बार कह रहे हैं माँन जाओ नहीं तो "ले डंडा दे डंडा ":)

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  15. Jab dhaak kam hone lage to aise aadeshon ka nikala swabhawik ho jaata hai..... Shayad yahi parlakshit hota hai noticenum aadesh se...

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  16. कोई इसे आराम से मान ले तो उसके लिए निवेदन और जो ना माने उसके लिए सख्त आदेश , साथ में चेतावनी भी |

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  17. यह एक अधिकारी जिसे हिन्दी पढना और समझाना नहीं आता, का कथन है ! मगर आज अनवरत की यह पोस्ट देख मज़ा आ गया भाई जी ! लगता है आज बढ़िया मूड में हैं ....
    .....हा....हा......हा.........हा...........

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  18. ये सरकारी हिन्दी है जिसे समझना बहुत मुश्किल है।

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  19. द्विवेदी सर,
    अंग्रेज़ बेशक चले गए लेकिन नौकरशाहों में अफसरी का अपना कीड़ा ज़रूर छोड़ गया...इसलिए जहां तहां ये पढ़ने को मिल जाता है...आदेशानुसार या बाई द आर्डर ऑफ...जिलाधिकारी, एसएसपी, एसडीएम...
    एक बात और मुझे समझ नहीं आती कि ये जिलाधिकारियों को हर शहर में रहने के लिए महलों जैसे आलीशान मकान क्यों दिए जाते हैं...

    जय हिंद...

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  20. पुलिस विभाग में शिष्‍टाचार सप्‍ताह चल रहा था। उस दौरान पकडे गए एक अपराधी से दरोगाजी ने कहा - 'श्रीमानृ आप अपना अपराध कबूल करेंगे या मैं आपकी माताजी से रिश्‍ता कायम करूँ।'
    कोटा के लजला कोषालय अधिकारी कार्यालय में भी ऐसा ही शिष्‍टाचार सप्‍ताह चल रहा दिखता है।

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