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बुधवार, 2 दिसंबर 2009

ऐ लड़की * महेन्द्र 'नेह' की एक कविता

महेन्द्र नेह की एक कविता उन के सद्य प्रकाशित संग्रह थिरक उठेगी धरती से ...

ऐ लड़की
  • महेन्द्र  'नेह'
ऐ, लड़की
ऐ, लड़की
तू प्यार के धोखे में मत आ


ऐ, लड़की
तू जिसे प्यार समझे बैठी है
वह और कुछ है
प्यार के सिवा


ऐ, लड़की तूने
अपने पाँव नहीं देखे
तूने अपनी बाँहें नहीं देखीं
तूने मौसम भी तो नहीं देखा


ऐ, लड़की
तू प्यार कैसे करेगी?
ऐ, लड़की
तू अपने पाँवों में बिजलियाँ पैदा कर

 ऐ, लड़की
तू अपनी बाँहों में पंख उगा
ऐ, लड़की
तू मौसम को बदलने के बारे में सोच
ऐ, लड़की
तू प्यार के धोखे में मत आ।

14 टिप्‍पणियां:

  1. ऐ, लड़की
    तू प्यार कैसे करेगी?
    ऐ, लड़की
    तू अपने पाँवों में बिजलियाँ पैदा कर
    ऐ, लड़की
    तू अपनी बाँहों में पंख उगा
    ऐ, लड़की
    तू मौसम को बदलने के बारे में सोच

    बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति..कविता कुछ बेहतरीन संदेश देते हुए निकलती है...बढ़िया रचना..धन्यवाद

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  2. बेहतरीन कविता ...
    कोरी भावुकता से हट कर
    प्रौढ़ चिंतन किया गया है ...
    ..............आभार .....................

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  3. बहुत ही खूबसूरत रचना है...

    ऐ, लड़की...

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  4. ऐ, लड़की
    तू मौसम को बदलने के बारे में सोच
    ऐ, लड़की
    तू प्यार के धोखे में मत आ।
    बहुत सुंदर

    जवाब देंहटाएं
  5. 'पावों में बिजलियां , हाथों में पंख और मौसम बदलने ....'


    सुन्दर कविता !

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  6. bahut hi umeedon se bhari sunder rachana,padhwane ke liye shukran

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  7. छई छप छई, छपाक छई,
    पानियों पे छींटे उड़ाती हुई लड़की,
    देखी है हमने,
    आती हुई लहरों पे जाती हुई लड़की...

    जय हिंद...

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  8. बहुत सुन्दर, सीधे सम्प्रेषण करती कविता !

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  9. नेह जी की रचनाओं का जबाब नहीं..सीधी और गहरी!

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  10. सीधे शब्दों में गहरे भाव !!

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