विचरण की थकान से निद्रा गहरी आई, उठने का मन नहीं था फिर भी सूत जी ने स्वभावगत् रुप से सूर्योदय पूर्व ही शैया त्याग दी। प्रातःकालीन नित्यकर्म से निवृत्त हो छनी हुई तमिल कॉफी का आनंद लिया। अब चेन्नई में रुकना निरर्थक था। सोचा, जब यहाँ तक आ ही गए हैं तो तिरुअनंतपुरम चल कर पद्मनाभस्वामी के दर्शन भी कर लिए जाएँ। हालांकि वहाँ लोग बहुत पहले ही मतदान कर चुके थे। लेकिन उस से क्या इस दक्षिणी तटखंड और उस के लोगों का साक्षात तो हो ही सकता था। जानकारी की तो पता लगा दस बजे नित्य ही वहाँ के लिए विमान है, मात्र तीन-चार घड़ी की यात्रा। सूत जी दोपहर होने के पहले ही पद्मनाभ स्वामी के विश्राम स्थल पहुँच गए। कहते हैं परशुराम के फरसे को समुद्र में डुबोने पर यह धरती जल से बाहर आ गई थी। विमान से स्वामी का मंदिर देख कर ही मन प्रसन्न हो गया।
हे, पाठक!
विश्राम के लिए मंदिर के निकट ही यात्री आवास भी मिल गया। पहुँच कर भोजन किया, तनिक विश्राम और फिर स्वामी के दर्शन। फिर निकले नगर भ्रमण को। लोग काम में लगे थे। विचित्र नगर था। स्त्रियाँ खूब दिखाई पड़ती थीं, लगभग पुरुषों के बराबर। हर काम में और हर स्थान पर। नगर का प्रत्येक प्राणी सजग दीख पड़ता था। बहुत जानकारियाँ मिली। नगर शिक्षा का बड़ा केन्द्र है, प्राचीन काल से ही। नगर में एक प्राचीन वेधशाला भी है। सूत जी ने नगर और खंड के बारे में और जानना चाहा तो पता लगा उष्ण मौसम, समृद्ध वर्षा, सुंदर प्रकृति, जल की प्रचुरता, सघन वन, लम्बे समुद्र तट और चालीस से अधिक नदियाँ यहाँ की विशेषता हैं। सच ही यह अपने नाम की तरह ईश्वर का घर प्रतीत हुआ। आदिकालीन भारतीय द्रविड़ों के अतिरिक्त आर्य, अरबी, यहूदी, मिश्रित वंश तथा आदिवासी यहाँ की जनसंख्या का निर्माण करते हैं और लगभग सभी शिक्षित। हिन्दू, ईसाई, इस्लाम,बौद्ध, जैन, पारसी, सिक्ख और बहाई धर्मावलम्बी यहाँ मिल जाएँगे। अद्वैत के आचार्य आदिशंकर की जन्म स्थली। शेष भारतवर्ष से ढाई गुना अधिक लगभग 819 जन प्रति वर्ग किलोमीटर की सघन जनसंख्या में स्त्री-पुरुष बराबर हैं अपितु कुछ स्त्रियाँ ही अधिक हैं। स्त्री-प्रधान समुदाय आज भी हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन में तृतीय विश्व का सब से अग्रणी खंड बना। जनसंख्या की स्थिरता प्राप्त यह खंड आज विश्व के अग्रणीय देशों के साथ खड़ा है। क्या नहीं था इस खंड में?
हे, पाठक!
भारतवर्ष की स्वतंत्रता के दस वर्ष उपरांत पहली बार खंडीय पंचायत गठित हुई और पहली ही बार जन ने लाल फ्रॉक को राज्य चलाने का अधिकार दिया। वे लाए तीव्र विकास के लिए तीव्र परिवर्तन। महापंचायत को यह सब रास नहीं आया। लाल फ्रॉक की खंडीय पंचायत को हटा दिया गया। लेकिन बीज नष्ट नहीं हो सका। उस के बाद मिश्रित जन ने जो इतिहास रचा वह अद्वितीय है। इसी से इस खंड को राजनीति की प्रयोगशाला का नाम मिला। गठबंधनों का शासन जो आज पूरे भारतवर्ष का भाग्य है, वह इस खंड मे पहली बार हुआ और फिर एक परंपरा बन गया। स्पष्ट रूप से दो मुख्य गठबंधन सामने आए। यदि इन गठबंधनों को हम दल मान लें तो एक द्विदलीय प्रणाली यहाँ विकसित है। जब भी जन को कोई पाठ पढ़ाना होता है तो वह एक गठबंधन को अस्वीकार कर दूसरे को अवसर प्रदान करते हैं। दोनों के मध्य प्रतियोगिता ने खण्ड को विश्व में मान दिलाया।
हे, पाठक!
सूत जी को देर रात्रि तक यह सारी जानकारी मिली। उन की रुचि वर्तमान महापंचायत के लिए हो रहे चुनाव के परिणामों की थी। उन्हों ने अनेक लोगों से पूछताछ की। सभी दलों के लोगों से मिले। लेकिन आश्चर्य कि लगभग सभी लोग परिणाम के प्रति आश्वस्त और सब की राय एक जैसी। ऐसा कहीं नहीं हुआ था। सब स्थानों पर लोग अपने अपने दलों के बढ़चढ़ कर प्रदर्शन करने की आशा रखते थे, लेकिन यहाँ सब कुछ विपरीत था। सब लोगों का एक ही मत था 19-20, अर्थात बहुत अंतर दोनों गठबंधनों के मध्य नहीं रहेगा। या तो दो खेतपति इसके अधिक, या फिर दो खेतपति उस के अधिक।
बोलो! हरे नमः, गोविन्द, माधव, हरे मुरारी .....
इस जनतन्तर कथा ने निरन्तर तृप्ति दी है । इसकी निरन्तरता के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंIndiblogger of the month - March के लिये अनवरत को वोट कर दिया है । कामना है Blog of the month अनवरत ही बने ।
सही कथा चल रही है..जारी रहें.
जवाब देंहटाएंएक बात और, इस चिट्ठे पर कहीं उल्लेख होना चाहिये कि अनवरत Indiblogger of the month के लिये नामांकित है । इस चिट्ठे के बहुत से प्रेमी इसे वोट देने के लिये उद्यत खड़े होंगे, मेरी तरह । उन्हें सूचना मिलनी चाहिये । ध्यान दें ।
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर.
जवाब देंहटाएंबोलो! हरे नमः, गोविन्द, माधव, हरे मुरारी .....
रामराम
बोलो! हरे नमः, गोविन्द, माधव, हरे मुरारी .....
जवाब देंहटाएंइस कथा से तो हम वाकई धन्य हुए गुरुवर .
जनतन्तर कथा में नयी जगहों की सैर भी तो हो रही है. वहां का रहन-सहन और परिवेश इन सब से भी तो परिचित हो रहे हैं !
जवाब देंहटाएंहिमांशु जी यह भी बताए। कि वोट देने के लिए कहाँ जाना है ?
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
हम्को भी पता चलना चाहिये कि वोट कंहा और कैसे दिया जा सकता है॥
जवाब देंहटाएंसही लोकतन्त्र द्विदलीय और १९-२० के अन्तर वाली अवस्था से आता है। हमारे ये चुटुर-पुटुर दल उस खास बात को झुठलाने में जनतंत्र को पददलित कर रहे हैं।
जवाब देंहटाएंजनता तो भकुआ है जो उनके कहे में आती है।
भला हो हिमांशु जी का....
जवाब देंहटाएंतुरंत indiblogger पर खाता खोला...वोट डाला...
अरे भई..सभी लोग वोट करें...
भला हो हिमांशु जी का....
जवाब देंहटाएंतुरंत indiblogger पर खाता खोला...वोट डाला...
अरे भई..सभी लोग वोट करें...
भारतीय गणतँत्र की सफल चुनाव कथा अभियान के लिये आपकी इस कथा से विस्तृत जानकारी मिली है - आभार जी !
जवाब देंहटाएं