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रविवार, 8 मार्च 2009

तुम्हारी जय !

महिला दिवस पर महेन्द्र 'नेह' का गीत  




तुम्हारी जय !


अग्नि धर्मा
ओ धरा गतिमय
तुम्हारी जय !

सृजनरत पल पल
निरत अविराम नर्तन
सृष्टिमय कण-कण
अमित अनुराग वर्षण

विरल सृष्टा
उर्वरा मृणमय
तुम्हारी जय !

कठिन व्रत प्रण-प्रण
नवल नव तर अनुष्ठन
चुम्बकित तृण तृण
प्राकाशित तन विवर्तन

क्रान्ति दृष्टा
चेतना मय लय
तुम्हारी जय !
                    ... महेन्द्र नेह



  

9 टिप्‍पणियां:

  1. विरल सृष्टा
    उर्वरा मृणमय
    तुम्हारी जय !


    यह सुंद्दरतम रचना पढवाने के लिये आभार.

    रामराम.

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  2. इस प्रकार की संश्लिष्ट रचना पढ़वाने के लिये आभार.
    होली की एकरस प्रविष्टियों के बीच इस रचना को पढ़ना मुदित कर गया । धन्यवाद ।

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  3. मेरे सामने समस्या ये आ रही है कि कोई चीज अच्छी लगती है तो भी वाह, कोई चीज बहुत अच्छी लगती है तो भी वाह!! कोई चीज हद से ज्यादा अच्छी लगती है तो भी वाह !!! अब ऐसा कौन सा शब्द निकालूँ जो ये बता सके कि ये कविता कितनी अच्ची लगी।

    यही कह सकती हूँ कि प्रसाद और निराला याद आ गये...! आलौकिक..!

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  4. बहुत स्तरीय रचना। ओज युक्त।

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  5. Itnee khoobsoorat rachnaa se ru-ba-ru karwaaneke liye shugriyaa adaa karnaa chahungi...!
    Bohot din ho gaye, aapkaa maargdarshan mile...kuchh adhoora-sa lagta hai..aapse bohot kuchh seekhne milaa hai !
    Ek darkhwast hai, gar samay ho to...
    Aatankwaad ke khilaaf chal rahee ladaayi ko maddenazar rakhte hue ek kahaanee post kee hai...mere "kahanee" blogpe...kya aap kuchh mujhe dishaa bata sakenge?

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. Dineshji, aapki tippaneeke liye bohot, bohot dhanyawad...
    Apnee beteeki peeedhee ke baareme gar kahun, to aapne kaha hua "sach" badaltaa nazar aa raha hai...yaa shayad wo khud behad bhagyawaan hai, ki uska pati uska sabse achha dost hai.Bhagwaan unhen salamat rakhe.
    Lekin yebhi sach hai, ki wo peedhee, meree peedheene apnee aulaad/pariwar ke khatir kiyaa tyagbhi nahee samajh patee hai...aur wo tyag nahee tha...wo kewal maan kee mamta thee...
    "Tyag", kehna maaki mamtaaka avmaan hoga.
    It wasn't any martyrdom, that I claim ! Wo to behad filmi ho jayega!
    Apne saare gun doshon sahit, apne jeevankaa sach, maine sweekar liya hai...aur wahee maqsad "....Duvidha" shrinkhlaaka tha...naaki kisee wyakteekee pratadna.Aur ek hadke bahar jaake, satya ke naampe, bezimmedarana lekhan karnabhee galat hoga.
    Apke sujhaw aur maargdarshan ke liye hamesha runee rahungi.

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