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सोमवार, 11 अगस्त 2008

कोटा के निकट गेपरनाथ महादेव झरने की सीढ़ियाँ गिरने से हादसा तीन की मृत्यु

कोटा से 22 किलोमीटर दूर चम्बल नदी की कराई में स्थित गेपरनाथ महादेव झरने की राह में सीढ़ियाँ गिर जाने से एक व्यक्ति की मौके पर ही मत्यु हो गई, एक को बचा लिया गया और दो के अभी मलबे में दबे होने की आशंका है। सीढ़ियाँ वहाँ आने जाने का एक मात्र रास्ता होने से नीचे झरने, कुंड और मन्दिर की ओर फंसे रह गए 135 लोगों में लगभग 35 बच्चे और 30 महिलाएँ शामिल हैं। रात हो जाने के कारण उन्हें नहीं निकाला जा सका है। रात्रि को निकाला जाना संभव नहीं है। सुबह ही उन्हें निकालने का काम हो पाना संभव होगा।
यह एक मनोरम स्थान है। चम्बल के किनारे नदी से कोई आधा से एक किलोमीटर दूर एक सड़क कोटा से रावतभाटा जाती है। रतकाँकरा गांव के पास इसी सड़क से कोई आधाकिलोमीटर चम्बल की ओर चलने पर यकायक गहराई में एक घाटी नजर आती है। जिस में तीन सौ फीट नीचे एक झरना, झरने के गिरने से बना प्राकृतिक कुंड है। वहीं एक प्राचीन शिव मंदिर है। बरसात में यह स्थान मनोरम हो उठता है और हर अवकाश के दिन वहाँ दिन भर कम से कम दो से तीन हजार लोग पिकनिक मनाने पहुँचते हैं। पानी कुंड से निकल कर चम्बल की और बहता है और बीच में तीन-चार झरने और बनाता है मगर वहाँ तक पहुँचना दुर्गम है। दुस्साहस कर के ही वहाँ जाया जा सकता है।
ऊपर भूमि से नीचे कुंड, झरने और मंदिर तक पहुँचने के लिए सीधे उतार पर तंग सीढ़ियाँ हैं। चार-सौ के लगभग इन सीढ़ियों में से करीब सौ फुट के लगभग सीढियाँ कल दोपहर बाद उन के नीचे के भराव के पानी के साथ बह जाने से ढह गईं। ये चार लोग वहाँ सीढ़ियों पर होने से मलबे में दब गए। शेष जो नीचे थे नीचे ही रह गए। हालांकि वहाँ नीचे रात रहने में खास परेशानी नहीं है यदि बरसात न हो वैसे बरसात नहीं के बराबर है। मगर हो गई तो सब को भीगना ही पड़ेगा। मंदिर में स्थान नहीं है। क्यों कि मंदिर पर भी लगातार पानी गिरता रहता है। सब के सब खुली चट्टानों पर हैं। उन का रात वहाँ काटना जीवन की सब से भयानक रात होगी। हालांकि वहाँ पुलिस के लगभग 20 जवान पहुँचे हैं, जो रात उन के साथ काटेंगे उन के साथ एक इंस्पेक्टर भी है। भोजन, दूध और कंबल आदि सामग्री पहुँचा दी गई है। रोशनी का प्रबन्ध हो गया है। लेकिन ऐसे स्थानों पर रात को जो कीट, पतंगे, सांप आदि जीव विचरते हैं उन सभी को आज बहुत से भयभीत मानवों का साथ मिलेगा। मानवों की रात वहाँ गुजारेगी यह तो वापस लौटने पर वे ही बता सकेंगे।
यह समाचार सभी हिन्दी समाचार चैनलों में ब्रेकिंग न्यूज बना हुआ है। अभी तक सबसे तेज चैनल को यह पता नहीं है कि लोग नीचे फंसे हैं या ऊपर। वहाँ दूरभाष साक्षात्कार आ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि ऊपर फंसे लोगों को बचाने के लिए क्या व्यवस्था की है। जवाब आ रहा है कि नीचे फंसे लोगों को बचाने की व्यवस्था की जा रही है। एंकर कह रहा है कितनी लापरवाही है ऊपर फंसे लोगों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। जब कि ऊपर तो शहर है। सड़क है, बचाने वाले हैं, सहायता सामग्री है। लोग तो नीचे खड्ड में झरने, कुंड और मन्दिर पर फंसे हैं।
हमें कामना करनी चाहिए कि जो बच गए हैं वे सभी सुबह सकुशल लौटेंगे। 
यहाँ दिया गया चित्र झरने का है। झरने के बायें मन्दिर है और उस के साथ ही सीढ़ियाँ बनी हैं जो नीचे झरने की और जाने आने का एक मात्र साधन हैं।

14 टिप्‍पणियां:

  1. हम भगवान से कामना करते हे सभी सही सलामत सुबह बाहर आ जाये,धन्यवाद समाचार देने के लिये

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  2. हम भी दुआ कर रहे है कि सभी सकुशल बाहर आ जाएँ..

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  3. भक्ति मार्ग में कष्ट ही मोक्ष का मार्ग है, जो चले गये आइए उनकी आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें!

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  4. बहुत खेद है इस हादसे पर, जैसा समाचारों में बताया गया है कि कल दोपहर तक सब बाहर निकाल लिए जाएंगे। सब सकुशल बाहर आजाएं ये ही इच्छा है। भगवान उनकी रक्षा करना।

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  5. .
    दुःखद तो है,
    किंतु भक्तजन भी अति कर देते हैं ।
    धैर्य और संयम छोड़ एकदम से हल्लाबोल मचा देते हैं ।
    बेचारे भोलेनाथ इतनी अंग्रेज़ी भी नहीं जानते कि, ' डू नाट डिस्टर्ब ' का बोर्ड लगवा दें ।

    मर्त्यलोक की सरकारें तो लाठीचार्ज करवा देती हैं,
    भोले बाबा क्या करें, यही होता है..जो हुआ है, दुःखद है तो क्या..
    संकेत साफ़ है, चाहे बाबा बर्फ़ानी हों.. भार्या नैना देवी हों या कोटे्श्वर

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  6. "पूछा जा रहा है कि ऊपर फंसे लोगों को बचाने के लिए क्या व्यवस्था की है। जवाब आ रहा है कि नीचे फंसे लोगों को बचाने की व्यवस्था की जा रही है। एंकर कह रहा है कितनी लापरवाही है ऊपर फंसे लोगों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। जब कि ऊपर तो शहर है। सड़क है, बचाने वाले हैं, सहायता सामग्री है। लोग तो नीचे खड्ड में झरने, कुंड और मन्दिर पर फंसे हैं।"
    यह हाल है हमारी अनवरत चलने वाले मीडिया चैनलों का ...इस अनवरत पर न आते तो सही क्या है पता ही न चलता .....अब तो उन पथिकों की दुहस्वप्न सरीखी अन्धिआरी रात बीत गयी होगी ---बस सूरज की रोशनी निकलने ही वाली है -सभी को मेरी शुभकामनाएं और आपको आभार इस रीयल रिपोर्टिंग के लिए .

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  7. जो फंसे हैं उनकेसलामती के लिए प्रभु से प्रार्थना करता हूँ.
    बाकी डाक्टर अमर बाबू सही कह रहे हैं.

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  8. i hope you and all your family memebers are safe it was late night i saw the news so could not personally get in touch . hope they are aal rescued soon

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  9. दुखद है सभी को चेतना चाहिए ...अब सब कुछ सरकार के भरोसे न छोड़कर प्रत्येक नागरिक को जिम्मेदारी लेनी चाहिए ......

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  10. ईश्वर दर्शन के बदले ऐसे हादसोँ मेँ फँसे लोग मौत के हवाले हो गये सुनकर बहुत दुख हुआ
    अब आगे,क्या हुआ ?
    - लावण्या

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  11. आशा है अब तक सब लोग सुरक्षित आ चुके होंगे. मैं भी डॉक्टर साहब की बात से सहमत हूँ - मगर जब ज़िंदगी इतनी अनिश्चित हो तब आम जनता को भगवान् के अलावा और कोई सहारा भी तो नहीं होता है.

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  12. मैं लगभग चौबीस घण्‍टे बाद अपना लेप टाप खोल पाया । तब तक सब कुछ भली प्रकार निपट चुका था । ईश्वर की अनुकम्‍पा रही ।
    मुझे पूरा भरोसा था कि आप इस मामले में सबसे पहले आगे आएंगे ।
    ईश्वर को धन्‍यवाद और आपको साधुवाद, अभिनन्‍दन ।

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