मैं ने चिटठाकार समूह पर एक सवाल छोड़ा था। प्रोफेशनलिज्म के लिए हिन्दी शब्द क्या हो सकता है? जवाब भी खूब मिले। व्यवसायिकता इस के लिए सही शब्द हो सकता है, लेकिन यह भी समानार्थक नहीं। प्रोफेशनलिज्म शब्द का हिन्दी में कोई समानार्थक नहीं। मेरी जिद भी है कि जब आप को कोई समानार्थक शब्द अपनी भाषा में न मिले तो उसे अपनी भाषा का संस्कार दे कर अपना लिया जाए इस से हिन्दी न तो हिंगलिश होगी और न ही उस की कोई हानि होगी। लाभ यह होगा कि आप के भाव को प्रकट करने वाला एक और शब्द आप के शब्द कोष में सम्मिलित हो जाएगा। इस से भाषा समृद्ध ही होगी।
मूल बात थी कि प्रोफेशनलिज्म का अर्थ क्या? यह एक गुण या गुणों का समुच्चय है। जो आप के काम को करने के तरीके को निर्धारित करता है और आप के काम के परिणाम और उस से उत्पन्न उत्पाद की गुणवत्ता को भी।
मैं एक वकील हूँ, एक प्रोफेशनल। मेरे पास एक सेवार्थी अपनी कोई समस्या ले कर आता है। मुझे उस की समस्या हल करनी है। कोई आते ही यह भी कहता है कि 'वकील साहब, एक नोटिस देना है' मैं उस से यह भी कह सकता हूँ कि 'दिए देते हैं' अगर मैं ने यह जवाब दिया, तो समझो मैं प्रोफेशनल नहीं हूँ, और एक वकील, एक लॉयर नहीं हूँ। फिर मैं एक दुकानदार हूँ, जो माल बेचता है। क्यों कि ग्राहक ने कहा नोटिस दे दो, और मैं ने दे दिया।
भाई, वकील तो मैं हूँ। यह तुम ने कैसे तय कर लिया कि, नोटिस देना है? और समस्या के हल के लिए यह एक सही प्रारंभ है। सेवार्थी का काम है, मुझे समस्या बताने का। मेरा काम है, उस से वे सभी तथ्य और उन्हें प्रमाणित करने के लिए साक्ष्य की उपलब्धता जाँचने का, और फिर इस सामग्री के आधार पर समस्या का हल तलाश करने का। मैं तय करूगा कि, समस्या का हल कैसे करना है?
अगर मेरे सारे कामों में यह गुण विद्यमान रहता है तो मैं एक सही प्रोफेशनल हूँ, अन्यथा नहीं। अपने काम के प्रति पूरी सजगता होना, उस के लिए जरुरी कुशलता हासिल करना और उसे उत्तरोत्तर विकसित करते रहना जरुरी है। सेवार्थी को सर्वोत्तम सेवाएं प्रदान करने के लायक बने रहना ही प्रोफेशनलिज्म है। प्रोफेशनलिज्म का यह अध्याय यहीं समाप्त नहीं होता। अनेक और बाते हैं जो इस में समाहित होती हैं। पर आज के लिए इतना पर्याप्त है।
अंत में एक सवाल- क्या चिट्ठाकारों को प्रोफेशनल नहीं होना चाहिए?
जबाब का इंतजार है!
जवाब देंहटाएंक्या चिट्ठाकारों को प्रोफेशनल नहीं होना चाहिए?
जवाब देंहटाएंमेरे विचार से जरूर होना चाहिये साहब।
व्यवसाय तो अंग्रेजी के trade का समानार्थी है profession का नहीं। profession के लिये हिन्दी में 'वृत्ति' शब्द है किन्तु यह शब्द सामान्य रूप से प्रयोग में नहीं है बल्कि उर्दू का शब्द 'पेशा' अधिक प्रचलित है।
व्यवसायिक नहीं..व्यवसायधर्मी होना चाहिये ताकि अधर्म के बिना व्यवसायिक हो पायें.. यही सही प्रोफेशनलिज़म हैं वरना तो सब व्यापार हो जायेगा. मैं खुद भी चार्टड एकाऊन्टेन्ट हूँ तो आपका पक्ष समझ सकता हूँ..मेरी बात पर गौर करियेगा. :)
जवाब देंहटाएंआप की बात सही है, इसीलिए हिन्दी में इसे पेशेवर कहना उचित है। पर उस से "पेशेवर कातिल" जैसा अहसास नहीं होने लगेगा? वहाँ अधिक प्रयोग के कारण। इस कारण प्रोफेशनल ही उचित है। हिन्दी में प्रचलित भी है।
जवाब देंहटाएंवकालत आपकी आजीविका से जुड़ी है. वहां आपका प्रोफेशनल होना समझ में आता है. किंतु चिट्ठाकारी में प्रोफेशनालिस्म का क्या अर्थ है कुछ स्पष्ट नहीं हुआ.
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ की नगर पालिका परेशान है, लोगों ने सारे शहर को होर्डिंग्स, बैनर और अन्य किस्म किस्म के विज्ञापनों से पाट दिया है. इनके कारण शहर की प्राकृतिक सुन्दरता नष्ट हो रही है या कम से कम दब गयी है. कुछ ऐसा ही हाल अधिकांश हिन्दी चिट्ठों का नजर आता है, बेतरतीबी से लगाए हुए गूगल एड सेंस के ब्लॉक्स के कारण.
ठीक है,
जवाब देंहटाएंचलो तोड़ हो जाय, मेरा वोट तो प्रोफ़ेशन को ही जायेगा ।
भाषा की शुद्धता के दुराग्रही भला बैंक, स्टेशन ,चेक, पुलिस वगैरह के लिये जो भी शब्द गढ़ लें, किंतु प्रचलन तो इन्हीं शब्दों का रहेगा !
हम तो यही कहेंगे की भूखे पेट भजन न होए गोपाला.बस यह याद रखना चाहिए कलात्मकता पर व्यावसायिकता भरी न पड़ जाए
जवाब देंहटाएंप्रोफेशनल = प्रोफीशियेण्ट
जवाब देंहटाएंवोट प्रोफेशनल को!
आपसे पूरी-पूरी सहमति है .
जवाब देंहटाएंमैं तो कहता हूँ की हर ब्लोगर को प्रोफेसनल और हर प्रोफेसनल को ब्लोगर होना चाहिए !
जवाब देंहटाएंप्रोफेशनल होने मे कोई बुराई नही है।
जवाब देंहटाएंमैं आपकी बात से सहमत हूँ,ब्लॉगर को प्रोफशनल होना चाहिए.बस इतना हो कि ये बस प्रोफेशन ही न बन जाए.
जवाब देंहटाएंअभी तो चिट्ठे केवल अपने को खोजने, जानने, अपनी सोच को ठोस करने व अपनी खुशी के लिए ही लिखती हूँ । परन्तु यदि कभी इनके रास्ते एक चैक आ जाए तो सोने में सुहागा हो जाएगा ।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
आपकी अधिकांश बातों से सहमत लेकिन प्रोफ़ेशन और प्रोफ़ेशनल मुझे एकदम पसन्द नहीं आने वाले शब्द हैं। वैसे आपका अर्थ अलग है जो मैं मानता हूँ उससे। मतलब शब्द का लफ़डा है न कि विचारों का। यहाँ "मेरी जिद भी है कि जब आप को कोई समानार्थक शब्द अपनी भाषा में न मिले तो उसे अपनी भाषा का संस्कार दे कर अपना लिया जाए इस से हिन्दी न तो हिंगलिश होगी और न ही उस की कोई हानि होगी। " पर बहुत कुछ कहने की इच्छा है।
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