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शुक्रवार, 14 मार्च 2008

इस सप्ताह की सर्वोत्तम पोस्ट


आज सुबह-सुबह पूरे हफ्ते का आनन्द प्राप्त हो गया। डॉक्टर अमर कुमार की पोस्ट "जात पूछ साधो की" पढ़ कर। अभी हफ्ता पूरा होने में दो दिन बाकी हैं, पर हम घोसित कर दिए, इस पोस्ट को इस साल की, नहीं नहीं, साल तो अभी सुरू हुआ ही है, इस महिने की, नहीं,वह भी नहीं, वह भी अभी आधा भी नहीं गुजरा, इस हफ्ते की सबसे उत्तम पोस्ट। कोई ईनाम की दरकार मुझे है डॉक्टर अमर कुमार को। मगर जो हमने कह दिय़ा वही सच है।





और पाठक अच्छी तरह समझ लें, हम पूरे होस-हवास में, समझ-बूझ कर, अपनी सर्बोत्तम.... क्या कहते हैं उसे? ... चेतना से, बिना किसी से डरे-डराए, बिना किसी के बहकाए, ये घोसित किए हैं। और ये भी समझ लें, ये होली का मजाक नहीं है। होली का हफ्ता तो सुरु ही नहीं हुआ, अभी सुरुर कहाँ से आएगा? हाँ, ये भी हो सकता है कि ये पोस्ट आगे चल कर महिने की, और साल की भी सर्वोत्तम पोस्ट घोसित हो सकत है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. chaliye sir , kaash isee tarah sab kisi na kisi apnee sarcottam pasan ghoshit karte to sabkaa number lag hee jaataa.

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  2. धन्यवाद. तो यदि इस तरह दिन के कुछ सर्वोत्तम पठनीय चिट्ठों की सूची भी दे दें तो क्या बात है...

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  3. अरे पंडित जी,
    यह बिना बताये, बिना किसी सूचना के एकदम से
    लाद दिया मुझे तो । आप सच्चे पारखी हो ही नहीं
    सकते वरना एक से एक धुरंधरों को नज़रअंदाज़ न करते । कुछ तो है..का अच्छा लगना आपकी व्यक्तिगत पसंद हो सकती है, धन्यवाद !अभी से आसमान में टाँग देंगे तो गिरने के ख़तरे से सदैव सतर्क रहना पड़ेगाका चाहते हैं,ई धंधा पानी छोड़ दें का ?
    हम जहाँ हैं, वहीं पड़े रहने दीजिये ।
    अभिवादन !

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  4. पढ़ लिए हैं। शुक्रिया पारखी नज़र का ।

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