अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 7 दिसंबर 2025
आपदा में अवसर
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लघुकथा खूब बरसात हुई थी. नदी का पानी गाँव में घुस गया. निचली पट्टी के घर डूब गए, कपड़े-बरतन बह गए, बच्चे भूखे थे. नेता जी अफसर, बाबू और दो च...
शनिवार, 6 दिसंबर 2025
"मकौले का भूत"
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लघुकथा दो दोस्त अर्जुन और सलीम यूनिवर्सिटी गार्डन में बरगद के नीचे बैठे चर्चा में लीन थे. दोनों इतिहास के विद्यार्थी, दोनों ही अपने-अपने तर...
शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025
बदले का पाठ
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कॉलेज की लाइब्रेरी में राधा ने पहली बार "फेमिनिज़्म" शब्द को किताब के पन्नों में देखा। पन्नों पर लिखे विचार उसे आकर्षित कर रहे थे,...
मंगलवार, 2 दिसंबर 2025
जय जनतंत्र, जय संविधान¡
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"लघुकथा" दिनेशराय द्विवेदी जिले के सबसे बड़े गाँव चमनगढ़ की आबादी दस हज़ार होने को थी, ग्राम पंचायत भी बड़ी थी। दो बरस पहले यहाँ...
सोमवार, 1 दिसंबर 2025
रुकने का साहस
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खूबसूरत शहर था, नदी थी, तालाब थे, नदी और तालाब किनारे बाग थे। शहर में राजा का गढ़ था चार चार यूनिवर्सिटीज थीं। देश भर से पढ़ने आए विद्यार्थि...
6 टिप्पणियां:
रविवार, 30 नवंबर 2025
चढ़ावा
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कहानी : दिनेशराय द्विवेदी गाँव के चौक में भीड़ थी. चुनाव का मौसम था. नेता जी की गाड़ी आई और लोगों में हलचल मच गई. रामलाल, दिनभर दिहाड़ी पर ...
शनिवार, 29 नवंबर 2025
सत्यप्रार्थी वध
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'लघुकथा' एक समय की बात है , जब देश की आत्मा दो नगरों में बंटी हुई थी, एक था न्यायपुर , जहाँ दीवारें काली थीं , और दूसरा आस्थागढ़ , ...
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