अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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बुधवार, 22 जनवरी 2020
समानता के लिए जनता का संघर्ष फीनिक्स ही है।
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आक्सफेम की ताजा रपट कतई आश्चर्यजनक नहीं है। इस ने आंकड़ों के माध्यम से बताया है कि भारत के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश के 70 प्रतिशत लो...
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रविवार, 8 सितंबर 2019
जज
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सबसे बुरा तब लगता है जब जज की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति अपने इजलास में किसी मजदूर से कहता है कि "फैक्ट्रियाँ तुम जैसे मजदूरों के कारण बन...
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शुक्रवार, 6 सितंबर 2019
वैज्ञानिक भौतिकवाद -1 प्राक्कथन -राहुल सांकृत्यायन
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"वैज्ञानिक भौतिकवाद" राहुल सांकृत्यायन की महत्वपूर्ण पुस्तक है, उस में भौतिकवाद को समझाते हुए राहुल जी ने भाववादी दर्शनों क...
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बुधवार, 28 अगस्त 2019
राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता
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- प्रेमचन्द राष्ट्रीयता इसमें तो कोई सदेह नहीं कि अन्तर्राष्ट्रीयता मानव संस्कृति और जीवन का बहुत ऊँचा आदर्श है, और आदि काल से...
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शनिवार, 20 जुलाई 2019
हस्तलिपि
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वकालत में 40 साल से ऊपर हो गए हैं। कॉलेज छोड़े भी लगभग इतना ही अरसा हो गया। वकालत के शुरू में हाथ से बहुत लिखा। उस वक्त तो दरख्वास्तें और...
शनिवार, 22 जून 2019
प्रधानाध्यापक की गवाही
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पोक्सो की विशेष अदालत में (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) बच्चों का यौन अपराधों से बचाव अधिनियम में म.प्र. के झ...
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शनिवार, 25 मई 2019
गांधीजी का छल
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21 अक्टूबर, 1928 को ‘नवजीवन’ में गांधीजी ने लिखा - ‘बोल्शेविज्म को जो कुछ थोड़ा-बहुत मैं समझ सका हूं वह यही कि निजी मिल्कियत किसी के पास न...
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