अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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बुधवार, 28 अगस्त 2019
राष्ट्रीयता और अन्तर्राष्ट्रीयता
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- प्रेमचन्द राष्ट्रीयता इसमें तो कोई सदेह नहीं कि अन्तर्राष्ट्रीयता मानव संस्कृति और जीवन का बहुत ऊँचा आदर्श है, और आदि काल से...
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शनिवार, 20 जुलाई 2019
हस्तलिपि
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वकालत में 40 साल से ऊपर हो गए हैं। कॉलेज छोड़े भी लगभग इतना ही अरसा हो गया। वकालत के शुरू में हाथ से बहुत लिखा। उस वक्त तो दरख्वास्तें और...
शनिवार, 22 जून 2019
प्रधानाध्यापक की गवाही
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पोक्सो की विशेष अदालत में (Protection of Children from Sexual Offences Act – POCSO) बच्चों का यौन अपराधों से बचाव अधिनियम में म.प्र. के झ...
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शनिवार, 25 मई 2019
गांधीजी का छल
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21 अक्टूबर, 1928 को ‘नवजीवन’ में गांधीजी ने लिखा - ‘बोल्शेविज्म को जो कुछ थोड़ा-बहुत मैं समझ सका हूं वह यही कि निजी मिल्कियत किसी के पास न...
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शनिवार, 18 मई 2019
सल्फास एक्सपोजर
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प रसों 16 मई को दोपहर कोर्ट से वापस आने के बाद लंच लिया। मेरा सहायक शिवप्रताप कार्यालय का काम निपटा रहा था। मुझे याद आया कि साल भर के लिए ...
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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019
बच्चा-ईश्वर का मनोरंजक खिलौना
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बचपन में परिवार और समाज का वातावरण पूरी तरह भाववादी था। उस वातावरण में एक ईश्वर था जिस ने इस सारे जगत का निर्माण किया था। जैसे यह जगत ...
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शुक्रवार, 11 जनवरी 2019
मुलाकात गोर्की के आधुनिक पात्र से ...
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दि संबर के आखिरी सप्ताह अवकाश का होता है, मन यह रहता है कि इस सप्ताह कम से कम पाँच दिन बाहर अपनी उत्तमार्ध शोभा के साथ यात्रा पर रहा जाए...
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