अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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शनिवार, 25 मई 2019
गांधीजी का छल
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21 अक्टूबर, 1928 को ‘नवजीवन’ में गांधीजी ने लिखा - ‘बोल्शेविज्म को जो कुछ थोड़ा-बहुत मैं समझ सका हूं वह यही कि निजी मिल्कियत किसी के पास न...
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शनिवार, 18 मई 2019
सल्फास एक्सपोजर
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प रसों 16 मई को दोपहर कोर्ट से वापस आने के बाद लंच लिया। मेरा सहायक शिवप्रताप कार्यालय का काम निपटा रहा था। मुझे याद आया कि साल भर के लिए ...
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गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019
बच्चा-ईश्वर का मनोरंजक खिलौना
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बचपन में परिवार और समाज का वातावरण पूरी तरह भाववादी था। उस वातावरण में एक ईश्वर था जिस ने इस सारे जगत का निर्माण किया था। जैसे यह जगत ...
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शुक्रवार, 11 जनवरी 2019
मुलाकात गोर्की के आधुनिक पात्र से ...
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दि संबर के आखिरी सप्ताह अवकाश का होता है, मन यह रहता है कि इस सप्ताह कम से कम पाँच दिन बाहर अपनी उत्तमार्ध शोभा के साथ यात्रा पर रहा जाए...
शुक्रवार, 23 नवंबर 2018
समाजवाद और धर्म - व्लादिमीर इल्चीच लेनिन
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व्लादिमीर इल्यीच लेनिन ने 2005 में कम्युनिस्ट पार्टी और धर्म के बारे में एक छोटा आलेख लिखा था जो नोवाया झिज्न के अंक 28 में 3 दिसंबर, 1905...
मंगलवार, 20 नवंबर 2018
राजनीति में सामंतवाद महत्वपूर्ण स्थान बनाए हुए है।
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पाँ च राज्योें के विधानसभा चुनावों में एक परिदृश्य ठीक उन दिनों उपस्थित हो रहा है जब उम्मीदवारों के नामांकन की अन्तिम तिथि नजदीक आई है। ...
मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018
पूजा-पाठ के फेर में क्यों पड़ूं?
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दु र्घटना में बाबूलाल के पैर की हड्डी टूट गई और वह तीन महीने से दुकान नहीं आ रहा है। पूरे दिन दुकान छोटे भाई जीतू को ही देखनी पड़ती है। ...
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