अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018
पूजा-पाठ के फेर में क्यों पड़ूं?
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दु र्घटना में बाबूलाल के पैर की हड्डी टूट गई और वह तीन महीने से दुकान नहीं आ रहा है। पूरे दिन दुकान छोटे भाई जीतू को ही देखनी पड़ती है। ...
मंगलवार, 23 अक्टूबर 2018
क्या हमें पूंजीवादी संसदों में भाग लेना चाहिये?
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भारतीय परिस्थितियों में एक सवाल हमेशा खड़ा किया जाता है कि क्या अब कम्युनिस्ट पार्टी का संसदीय गतिविधियों में भाग लेना उचित रह गया है? इस ...
गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018
नाम बदलने की गधा-पचीसी
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न गरों और स्थानों के बदलने की जो गधा-पचीसी चल रही है, उस की रौ में सब बहे चले जा रहे हैं। वे यह भी नहीं सोच रहे हैं कि वे क्या बदल रहे है...
सोमवार, 15 अक्टूबर 2018
सपने का आधार कार्ड
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शा यद कोई प्रोफाइल बनानी थी, वह भी अंग्रेजी में। अब अंग्रेजी में अपनी टांग जरा टेड़ी पड़ती है, चलते हुए सदा लगता है कि अब गिरे कि अब गिरे।...
शनिवार, 6 अक्टूबर 2018
तुम्हारी जलन मरणांतक है।
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तु म्हारा जवाब नहीं। अब अपनी रक्षा में मासूम बच्चों को औजार बना कर उतार रहे हो। बच्चों की मासूमियत भरी बोली के सहारे सहानुभूति प्राप्त ...
रविवार, 26 अगस्त 2018
कम्युनिस्ट पार्टियों में टूटन और एकीकरण
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क म्युनिस्ट पार्टियों में अन्दरूनी विवाद होना और फिर पार्टी से किसी गुट का अलग हो जाना अब कोई असामान्य घटना नहीं रह गयी है। हम इस पर विचार...
शनिवार, 9 जून 2018
बिकाऊ-कमाऊ की जगह कैसे हो सब के लिए मुफ्त शिक्षा?
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यूँ तो हर कोई सोचता है कि एक अखबार खबरों का वाहक होता है। लेकिन जब मैं आज सुबह का अखबार पढ़ कर निपटा तो लगा कि आज का अखबार खबरों के ...
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