अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 30 अक्टूबर 2016
दीपावली : मनुष्य के सामुहिक श्रम और मेधा की विजय और प्रकृति के साथ उस के सामंजस्य का त्यौहार
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अ नाजों में ज्वार और धान की फसलों में बीज पक चुके हैं। बस फसलों को काट कर तैयार कर घर लाने की तैयारी है। फसल घर आने के बाद लोगों क...
शनिवार, 17 सितंबर 2016
अनन्त चौदस पर क्यों डुबोए जाते हैं गणपति?
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गणपति उत्सव को सर्वप्रथम शुरू करने वाले बाल गंगाधर तिलक ने पुणे में गणपति बिठाया। दस दिन तक सभा और सम्मेलनों को संबोधित किया। बिठाये गये गण...
रविवार, 24 अप्रैल 2016
ये हवा, ये सूरज, ये समन्दर, ये बरसात क्या करे?
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ह मारे गाँवों में बस्ती के नजदीक खलिहान होते थे। फसल काट कर लाने और तैयार करने के वक्त सिवा यही खलिहान दूसरे दूसरे कामों में आते थे...
मंगलवार, 12 जनवरी 2016
ब्राह्मणवादी अहंकार
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लेखक आनंद तेलतुंबड़े अनुवाद: रेयाज उल हक इं डिया टुडे के वेब संस्करण डेलियो.इन पर 27 नवंबर को बेल्जियम के घेंट यूनिवर्सिटी के एक ...
रविवार, 27 दिसंबर 2015
सोए रहो निरन्तर
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सोए रहो निरन्तर अब ये बात कोई छिपी तो नहीं न छिप सकती थी और न हम ने छिपाया हमें किसी ने नहीं, उद्योगपतियों ने बनाया उन्हों ने पूं...
शुक्रवार, 6 नवंबर 2015
यह महज असहिष्णुता नहीं है.. अरुन्धति रॉय
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सर्वश्रेष्ठ पटकथा के लिए मिले राष्ट्रीय सम्मान को (नेशनल अवार्ड फॉर बेस्ट स्क्रीनप्ले) लौटाते हुए अरुंधति रॉय यहां उन सब बातों को याद क...
मंगलवार, 3 नवंबर 2015
प्रगतिशील होने का पाखंड !
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राष्ट्रवादी ढोंगी विकास के नारों की खाल ओढ़ प्रगतिशील नहीं हो सकता। -भँवर मेघवंशी -----------------------------------------------...
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