अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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गुरुवार, 31 जुलाई 2014
प्रेमचंद के फटे जूते
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व्यंग्य हरिशंकर परसाई प्रे मचंद का एक चित्र मेरे सामने है, पत्नी के साथ फोटो खिंचा रहे हैं। सर पर किसी मोटे कपडे की टोपी, कुरत...
शादी की वजह
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मुंशी प्रेमचन्द य ह सवाल टेढ़ा है कि लोग शादी क्यों करते है? औरत और मर्द को प्रकृत्या एक-दूसरे की जरूरत होती है लेकिन मौ...
शनिवार, 31 मई 2014
कोड़ा जमाल साई
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शि वराम मूलतः ब्रजभाषी थे, हिन्दी पर उन की पकड़ बहुत अच्छी थी। जनता के बीच काम करने की ललक ने उन्हें नाटकों की ओर धकेला और संभवतः हिन्दी ...
रविवार, 25 मई 2014
भारतीय हॉकी और मुश्किल पहाड़
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बीजी जोशी क भी भी , कहीं भी और कैसे भी हॉकी पर चर्चा चलते कुछ ही पलों में सहमति बन जाती थी कि हॉकी यानी भारत-पाकिस्तान। लेकि...
बुधवार, 21 मई 2014
राजस्थान की भाजपा सरकार के नायाब तोहफे
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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ राजस्थान के इतिहास में किसी भी पार्टी की सरकार को कभी उतना बहुमत नहीं मिला, जितना की वर्तमान भाज...
मंगलवार, 6 मई 2014
धर्मनिरपेक्षता का क्या अर्थ है? ... आनन्द तेलतुंबड़े
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आनंद तेलतुंबड़े का यह लेख न सिर्फ दलों से अलग, भारतीय राज्य के फासीवादी चरित्र को पहचानने की जरूरत पर जोर देता है बल्कि यह धर्मनिरपेक्षत...
रविवार, 4 मई 2014
भाजपा का घोषणापत्रः फासीवादी दस्तावेज
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अनिल यादव आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जो अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है, वह भारत जैसे लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष राष्...
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