अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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रविवार, 1 जनवरी 2012
शक्ति, जिस से लुटेरे थर्रा उठें
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अनवरत के सभी पाठकों और मित्रों को नव वर्ष पर शुभकामनाएँ!!! नया वर्ष आप के जीवन में नयी खुशियाँ लाए!! भा रतीय जनगण को इस वर्ष निश्चि...
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गुरुवार, 29 दिसंबर 2011
वर्षान्त पर .....
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व र्षान्त आ गया है। इस बार वर्षान्त माह मेरे लिए भी भारतीय संसद की तरह बहुत खराब रहा। पहली ही तारीख को पता लगा कि खोपड़ी की ऊपरी सतह पर फै...
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मंगलवार, 6 दिसंबर 2011
राज्य, उत्पीड़ित वर्ग के दमन का औजार : बेहतर जीवन की ओर -16
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इ स श्रंखला की छठी कड़ी में ही हम ने यह देखा था कि मानव गोत्र समाज वर्गों की उत्पत्ति के उपरान्त वर्गों के बीच ऐसे संघर्ष को रोकने के लिए ...
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मंगलवार, 22 नवंबर 2011
लालच, विकास की मूल प्रेरणा : बेहतर जीवन की ओर-15
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अ ब तक हम ने देखा कि मनुष्य का जीवन बेहतर तभी हो सकता था जब कि उसे पर्याप्त भोजन, आवास और वस्त्र मिल सकें। प्रकृति में शारीरिक रुप से अत...
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शनिवार, 12 नवंबर 2011
संयोग, अंधनियम और तूफान : बेहतर जीवन की ओर-14
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आ म तौर पर राज्य को आज मनुष्य समाज के लिए आवश्यक माना जाता है और उस के बारे में यह समझ बनाई हुई है कि वह मनुष्य समाज में सदैव से विद्यमान ...
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
भारतीय समाज में गोत्र व्यवस्था : बेहतर जीवन की ओर-13
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ह मने इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में अमरीकी इंडियन गोत्र व्यवस्था के बारे में जाना। कुछ हजार वर्ष पहले तक पूरी दुनिया में मानव समाज ऐसा ...
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रविवार, 6 नवंबर 2011
कबीलों का महासंघ : बेहतर जीवन की ओर-12
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इरोक्वाई इ स तरह कबीलों में संघ बनाने की प्रवृत्ति विकसित होने लगी। कुछ खास कबीलों ने जो आरंभ में रक्तसंबंधी थे लेकिन अलग हो गए थे फि...
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