अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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मंगलवार, 22 नवंबर 2011
लालच, विकास की मूल प्रेरणा : बेहतर जीवन की ओर-15
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अ ब तक हम ने देखा कि मनुष्य का जीवन बेहतर तभी हो सकता था जब कि उसे पर्याप्त भोजन, आवास और वस्त्र मिल सकें। प्रकृति में शारीरिक रुप से अत...
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शनिवार, 12 नवंबर 2011
संयोग, अंधनियम और तूफान : बेहतर जीवन की ओर-14
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आ म तौर पर राज्य को आज मनुष्य समाज के लिए आवश्यक माना जाता है और उस के बारे में यह समझ बनाई हुई है कि वह मनुष्य समाज में सदैव से विद्यमान ...
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
भारतीय समाज में गोत्र व्यवस्था : बेहतर जीवन की ओर-13
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ह मने इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में अमरीकी इंडियन गोत्र व्यवस्था के बारे में जाना। कुछ हजार वर्ष पहले तक पूरी दुनिया में मानव समाज ऐसा ...
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रविवार, 6 नवंबर 2011
कबीलों का महासंघ : बेहतर जीवन की ओर-12
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इरोक्वाई इ स तरह कबीलों में संघ बनाने की प्रवृत्ति विकसित होने लगी। कुछ खास कबीलों ने जो आरंभ में रक्तसंबंधी थे लेकिन अलग हो गए थे फि...
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शनिवार, 5 नवंबर 2011
अमंरीकी इंडियन कबीले : बेहतर जीवन की ओर-11
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ह म ने देखा की गोत्र अमरीकी इंडियन जनों में समाज की इकाई के रूप में था। उन से मिल कर बिरादरी बनती थी और अनेक बिरादरियाँ मिल कर एक कबीले का...
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शुक्रवार, 4 नवंबर 2011
इरोक्वाई बिरादरियाँ : बेहतर जीवन की ओर-10
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इ रोक्वाई गोत्र के सद्स्यों का कर्तव्य था कि वे एक दूसरे की मदद और रक्षा करें। सदस्य अपनी रक्षा के लिए गोत्र की शक्ति पर निर्भर करता था। ...
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गुरुवार, 3 नवंबर 2011
गोत्र आधारित समाज : बेहतर जीवन की ओर-9
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ल्यू इस एच. मोर्गन विशेष ज्ञान रखने वाले ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्हों ने मनुष्य के प्राक् इतिहास को एक निश्चित क्रम प्रदान करने का प्रयत्...
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